केंद्र सरकार ने खालिस्तान समर्थक कट्टरपंथी समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ पर लगी पाबंदी को अगले 5 साल के लिए और बढ़ा दिया है. यह कार्रवाई UAPA के तहत की गई है. बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने ‘सिख फॉर जस्टिस’ (SFJ) और अमेरिकी नागरिक गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ आधा दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज कर रखे हैं. पिछले साल एजेंसी ने पंजाब और चंडीगढ़ में उनकी संपत्तियों को भी अपने कब्जे में ले लिया था. इससे पहले भारत सरकार ने जुलाई 2019 में सिख फॉर जस्टिस पर प्रतिबंध लगाया था, जिसके बाद इस साल यह प्रतिबंध की अवधि बढ़ाई जा रही है.
साल 2007 में खालिस्तानी चरमपंथी गुरवंत सिंह पन्नू ने सिख फॉर जस्टिस संगठन बनाया, जिसका मकसद सिखों के लिए अलग देश की मांग है. ये लगातार कई अलगाववादी अभियान चलाता रहा, जो पंजाब को भारत से आजाद कराने की बात करता है, संगठन सिर्फ भारत के पंजाब को अलग करने की मांग करता है, पाकिस्तान पर उसने कभी बात नहीं की.
साल 2018 में सिख फॉर जस्टिस ने भारत से पंजाब के अलग होने पर एक जनमत संग्रह की बात की थी, जिसमें दुनियाभर के सिखों के शामिल होने की अपील थी. साल 2020 में जनमत संग्रह के लिए वोटिंग की बात दोबारा छिड़ी. पंजाब के अलावा इसमें कनाडा, अमेरिका, यूरोप, न्यूजीलैंड और वे सारे देश थे, जहां ये सिख समुदाय रहता है. एक वेबसाइट बनी थी- रेफरेंडम 2020. ये कहती है कि जब सिख भारत से आजादी के लिए एकमत हो जाएंगे, तो आगे की प्रोसेस होगी, यानी खालिस्तान को मान्यता दिलाने की कोशिश.
आतंकियों के शहीद बताता है SFJ?
SFJ लगातार उन लोगों की छवि चमकाता रहा, जिन्होंने चरमपंथी सोच के साथ मासूम लोगों की हत्याएं की. मसलन, कनाडा में जनमत संग्रह के लिए मुख्यालय का नाम तलविंदर सिंह परमार के नाम पर रखा गया. सिख फॉर जस्टिस उसे शहीद कहता है, जबकि परमार 1985 एयर इंडिया बम ब्लास्ट का मास्टरमाइंड था. इस विस्फोट में 3 सौ से ज्यादा बेगुनाह मारे गए. एसएफजे ने इंदिरा गांधी के हत्यारों, बेअंत सिंह और सतवंत सिंह को भी ऊंचा दर्जा दिया. साल 2020 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें संगठन के लीडर गुरपतवंत सिंह पन्नू ने ‘शहीद’ बेअंत सिंह के सम्मान में खालिस्तान का झंडा फहराने वाले लोगों को लेटेस्ट आईफोन देने का वादा किया था.