दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर केस में दोषी इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी आरिज खान ने निचली अदालत से दी गई फांसी की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. दिल्ली की साकेत कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस माना है. आरिज खान को साकेत कोर्ट ने 8 मार्च को दोषी करार दिया था.
साकेत कोर्ट ने आतंकी आरिज खान पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें 10 लाख रुपये इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिए जाने का आदेश दिया है.इस मामले में इससे पहले एक आरोपी शहजाद अहमद को 2013 में सजा हुई थी. जबकि इनके 2 साथी आतिफ आमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे.
बटला हाउस एनकाउंटर का मास्टरमाइंड था आरिज खान
दिल्ली में साल 2008 में हुए बटला हाउस एनकाउंटर केस के बाद आरिज फरार हो गया था, साल 2018 में उसे नेपाल से गिरफ्तार किया गया था. इस एनकाउंटर मामले में इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हो गए थे. जबकि पुलिसकर्मी बलवंत सिंह-राजवीर को भी जान से मारने की कोशिश की गई थी.
इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी आरिज खान साल 2008 में दिल्ली-जयपुर-अहमदाबाद और यूपी की अदालतों में जो धमाके हुए थे, उनके मुख्य साजिशकर्ताओं में आरिज का नाम था. इन सभी धमाकों में कुल 165 लोगों की जान गई थी, जबकि 535 लोग घायल हुए थे.
धमाकों के बाद तब आरिज पर 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था और इसके खिलाफ इंटरपोल के जरिए रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ था. आजमगढ़ के रहने आरिज खान उर्फ जुनैद को स्पेशल सेल की टीम ने फरवरी 2018 में गिरफ्तार किया.
हाईकोर्ट चाहे तो सजा को पलट सकता है
फांसी कि सजा मिलने पर ये जरूरी कि सेशन कोर्ट सजा की कंफर्मेशन के लिए हाई कोर्ट को भेजती है, जब हाईकोर्ट अपनी मोहर लगाता है तभी सजा पक्की मानी जाती है. अगर हाईकोर्ट चाहे तो सजा को पलट भी सकता है. फांसी देने के लिए हाईकोर्ट की कंफर्मेशन जरूरी है.