भारत बायोटेक का दावा-कोरोना का देसी टीका Covaxin भी डेल्टा वेरिएंट पर 65.2% है असरदार

भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने कोवैक्सीन (Covaxin) की प्रभावशीलता को लेकर तीसरे चरण का ट्रायल पूरा कर लिया है. ये ट्रायल कोरोना के 130 मरीजों पर किया गया था जिसके बाद कोरोना मरीजों पर ये 77.8 फीसदी प्रभावी बताई जा रही है. कोरोना के गंभीर मरीजों पर ये वैक्सीन 93.4 फीसदी प्रभावी पाई गई है.

ट्रायल में पाया गया है कि कोरोना के सिम्पटोमैटिक मरीजों पर ये वैक्सीन 77.8 फीसदी प्रभावी है जबकि गंभीर रोगसूचक यानी severe symptomatic मरीजों पर ये वैक्सीन 93.4 फीसदी प्रभावी पाई गई है. इसके अलावा कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ वैक्सीन 65.2 फीसदी प्रभावी पाई गई है.

NIH भी लगा चुका है प्रभावशीलता पर मुहर

इससे पहले अमेरिका की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने भी कोवैक्सीन की प्रभावशीलता पर मुहर लगाई थी. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने बताया था कि कोवैक्सीन अल्फा (B.1.1.7) और डेल्टा (B.1.617) के खिलाफ पूरी तरह से कारगर है. कोवैक्सीन ले चुके लोगों के ब्लड सीरम से मिले एंटीबॉडी की जांच में पाया गया कि कोवैक्सीन द्वारा तैयार किए गए एंटीबॉडी अल्फा और बीटा वायरस को न्यूट्रलाइज करने की क्षमता बखूबी रखते हैं. कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड वायरस (Inactivated Virus) की मदद से तैयार किया जाता है तो शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है.

भारत में कोवैक्सीन को आईसीएमआर (ICMR) और एनआईवी पुणें (NIV,PUNE) द्वारा तैयार किया गया है और अभी तक इसे दुनियां के ढाई करोड़ लोगों को लगाया जा चुका है. वहीं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज (NIAID) के निदेशक एंथनी एस फौसी ने कहा कि एक वैश्विक महामारी को समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है.

भारत बायोटेक ने कुछ दिनों पहले कहा था कि कंपनी वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर 9 रिसर्च पेपर प्रकाशित कर चुकी है. कंपनी ने 12 जून को कहा था कि कोवैक्सिन टीके के पहले और दूसरे चरण कट्रायल को प्रसिद्ध जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित किया गया.

भारत बायोटेक ने कहा था, “इस समय कोवैक्सिन के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर किए गए तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण एवं संकलन किया जा रहा है. इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि इसकी शुद्धता से कोई समझौता नहीं किया जाए.”

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