ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अगले साल 2021 में भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब ने मंगलवार को इस बारे में भारत का निमंत्रण स्वीकार किए जाने की जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 नवंबर को टेलीफोन पर बातचीत के दौरान जॉनसन को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था। जॉनसन ने अपनी ओर से पीएम मोदी को अगले साल ब्रिटेन में जी -7 शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया है।
ब्रिटेन के विदेश सचिव ने पत्रकारों से कहा कि हमारे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने के निमंत्रण को ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन द्वारा स्वीकार करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह भारत ब्रिटेन संबंधों के नए युग की शुरूआत का प्रतीक होगा। भारत में किसी भी ब्रिटिश प्रधानमंत्री को गणतंत्र दिवस के मौके पर कई दशकों बाद बुलाया जा रहा है। आखिरी बार साल 1993 में ब्रिटेन के पीएम जॉन मेजर ने भारत आकर रिपब्लिक डे इवेंट में हिस्सा लिया था।
इससे पहले मंगलवार को भारत यात्रा पर आए ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने व्यापार, रक्षा, शिक्षा, पर्यावरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने को लेकर बातचीत की। राब ऐसे समय में भारत यात्रा पर यहां आएं हैं, जब ब्रिटेन ब्रेक्जिट के बाद व्यापार समझौता करने के लिए यूरोपीय संघ के साथ जटिल वार्ता कर रहा है। राब 14 दिसंबर से 17 दिसंबर तक की भारत यात्रा पर आए हैं।
बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पत्रकारों को बताया कि डोमिनिक राब के साथ वार्ता में भारत एवं ब्रिटेन के संबंधों को और मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद आर्थिक सुधार की गति तेज करने के लिए भारत-ब्रिटेन के बीच गठजोड़ महत्वपूर्ण है। वहीं, ब्रिटेन के विदेश सचिव डोमिनिक राब ने कहा कि हम भारत के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करना चाहते हैं। राब ने कहा कि हमारे संबंध विभिन्न क्षेत्रों में साझे हित और साझे मूल्यों पर आधारित हैं और हम कई तरह से सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। बता दें कि ब्रेक्जिट के मद्देनजर ब्रिटेन भारत जैसी अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि किसी व्यापार समझौते के बिना यूरोपीय संघ से बाहर आने पर ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान होगा।