सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्टः भू उपयोग बदलने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने आज सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि वहां कोई प्राइवेट प्रॉपर्टी नहीं बन रही है, इसलिए इसपर सवाल उठाना अनुचित है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर बात की आलोचना हो सकती है लेकिन इस मसले पर रचनात्मक आलोचना होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है तथा सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर संबंधित अधिकारियों ने काफी स्पष्टीकरण दिया है जो यह साबित करते हैं कि इस निर्माण को रोकना सही नहीं है.

जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, हमें इस मामले पर और गौर करने का कोई कारण नहीं मिला और इसलिए कोर्ट इस याचिका को खारिज करके पूरे विवाद को खत्म कर रहा है.

शीर्ष अदालत ने भूखंड संख्या एक के भूमि उपयोग को मनोरंजन क्षेत्र से आवासीय क्षेत्र में बदलने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि भूखंड के भूमि उपयोग में परिवर्तन जनहित में नहीं है और वह केवल हरित एवं खुले क्षेत्र को संरक्षित करना चाहते हैं.

इस मसले पर कोर्ट ने मौखिक रूप से पूछा था अगर ऐसा है तो क्या आम नागरिकों से यह पूछा जाये कि उपराष्ट्रपति का निवास स्थान कहां होना चाहिए? कोर्ट की बेंच ने कहा कि हर बात की आलोचना हो सकती है. इसमें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आलोचना रचनात्मक होनी चाहिए.

गौरतलब है कि सितंबर 2019 में घोषित सेंट्रल विस्टा पुनरुद्धार परियोजना में 900 से 1,200 सांसदों के बैठने की क्षमता वाले संसद भवन की परिकल्पना की गयी है, जो अगस्त, 2022 तक तैयार हो जायेगा.

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