अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के H-1B वीजा पर शुल्क बढ़ाने के फैसले के बाद चीन ने वैश्विक पेशेवरों को अपने देश में काम करने का अवसर देने की तैयारी शुरू कर दी है। चीन ने हाल ही में नए K-वीजा की घोषणा की है, जो अक्टूबर 2025 से प्रभावी होगा और वैश्विक प्रतिभाओं को बिना किसी घरेलू नियोक्ता या संस्था के निमंत्रण के देश में काम करने की अनुमति देगा।
पिछले शुक्रवार को अमेरिकी प्रशासन ने H-1B वीजा पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का एकमुश्त शुल्क लगाने की घोषणा की थी। इस कदम के तहत नए H-1B आवेदन पर यह शुल्क लागू होगा। इस नीति का सबसे बड़ा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की संभावना है, क्योंकि H-1B वीजाधारकों में भारतीयों की हिस्सेदारी लगभग 71 प्रतिशत है, जबकि चीनी पेशेवरों का हिस्सा करीब 11.7 प्रतिशत है।
चीन की रणनीति और K-वीजा की विशेषताएं
चीन ने K-वीजा के माध्यम से विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र की युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। इस वीजा के तहत आने वाले पेशेवरों को कई सुविधाएं मिलेंगी, जैसे कि लंबी अवधि तक प्रवास की अनुमति, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भागीदारी, विज्ञान और तकनीकी परियोजनाओं में काम करने के अवसर, और व्यवसाय व उद्यमिता में संलग्न होने की सुविधा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में प्रतिभाएं सीमाओं से परे जाकर तकनीकी और आर्थिक प्रगति में योगदान करती हैं। उन्होंने बताया कि चीन दुनिया भर की योग्य प्रतिभाओं का स्वागत करता है और उन्हें देश में करियर बनाने और समाज की प्रगति में योगदान देने के अवसर प्रदान करता है।
इसके अलावा, चीन ने 40 से अधिक देशों के पर्यटकों के लिए अल्पकालिक यात्रा हेतु वीजा-मुक्त प्रवेश की भी घोषणा की है, ताकि देश में पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सके।