खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करने की याचिका को खारिज करने और सुनवाई के दौरान दिए गए बयानों के विवाद पर मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने स्पष्ट किया कि वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर उनके टिप्पणियों को गलत तरीके से फैलाया गया है।
याचिका का विवरण
राकेश दलाल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त मूर्ति को बदलने और उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने की मांग की थी। सीजेआई और न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने 16 मई को इसे खारिज कर दिया था। न्यायाधीशों ने कहा कि यह याचिका केवल प्रचार हित से प्रेरित है और इस पर कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है।
सीजेआई की टिप्पणियाँ
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यदि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं, तो प्रार्थना करें और ध्यान करें। आप शैव धर्म के किसी भी स्थल पर जाकर पूजा कर सकते हैं, जैसे कि खजुराहो का विशाल शिवलिंग।” उनके इस बयान की सोशल मीडिया पर आलोचना की गई।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीजेआई के खिलाफ प्रतिक्रिया असमानुपातिक है, जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसे नियंत्रित करना मुश्किल बताया। मुख्य न्यायाधीश ने हाल ही में नेपाल में हुई हिंसक विरोध प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया।