नई दिल्ली। भारतीय आईटी उद्योग के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। अमेरिकी प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एच-1बी वीजा शुल्क में हालिया बढ़ोतरी केवल नए आवेदनों पर लागू होगी और मौजूदा वीजा धारकों या उनके नवीनीकरण पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। नैसकॉम (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज) ने कहा कि इस स्पष्टीकरण से उद्योग की लंबे समय से चली आ रही चिंताएं काफी हद तक दूर हो गई हैं।
व्यवसाय पर सीमित असर की उम्मीद
नैसकॉम ने बताया कि मौजूदा वीजा धारक, जो अमेरिका से बाहर काम कर रहे थे, उनके लिए भी अब कोई अनिश्चितता नहीं रही। इसके अलावा भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियों ने बीते वर्षों में एच-1बी वीजा पर अपनी निर्भरता घटाई है और अमेरिका में स्थानीय स्तर पर नियुक्तियों को बढ़ाया है। यही कारण है कि नए शुल्क का असर संपूर्ण सेक्टर पर सीमित रहने की संभावना है।
भारतीय कंपनियों की रणनीति में बदलाव
आंकड़ों के मुताबिक, 2015 में शीर्ष भारतीय कंपनियों को 14,792 एच-1बी वीजा मिले थे, जबकि 2024 तक यह संख्या घटकर 10,162 रह गई। अब कंपनियां अमेरिका में स्थानीय भर्ती और कौशल विकास पर सालाना एक अरब डॉलर से अधिक निवेश कर रही हैं। शीर्ष 10 भारतीय और भारत-केंद्रित कंपनियों में एच-1बी कर्मचारियों का अनुपात कुल कर्मचारियों का 1% से भी कम है।
एच-1बी का महत्व और वैश्विक अर्थव्यवस्था
एच-1बी वीजा उच्च-कौशल वाले कर्मचारियों के लिए जारी किया जाता है और यह अमेरिका के कौशल अंतर को पूरा करने में मदद करता है। नैसकॉम का कहना है कि एच-1बी धारक अमेरिकी कार्यबल का एक छोटा हिस्सा हैं, लेकिन उनका योगदान वैश्विक नवाचार अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। संगठन ने जोर दिया कि कौशल-आधारित श्रम गतिशीलता स्थिर और पारदर्शी होनी चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि शुल्क बढ़ोतरी का निकट भविष्य में कोई गंभीर असर नहीं होगा, क्योंकि यह केवल आगामी आवेदन चक्र पर लागू है। हालांकि, अगर नियम लंबे समय तक बने रहते हैं तो आईटी कंपनियों को अपनी दीर्घकालिक व्यावसायिक रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है।
भारतीयों की बड़ी हिस्सेदारी
एच-1बी आवेदकों में भारतीय तकनीकी पेशेवरों की हिस्सेदारी 70% से अधिक है। वित्तीय वर्ष 2025 में जारी आंकड़ों के अनुसार, 10,044 अनुमोदनों के साथ अमेज़न शीर्ष पर है, जबकि टीसीएस (5505) दूसरे और माइक्रोसॉफ्ट (5189) तीसरे स्थान पर है। शीर्ष 20 में इंफोसिस, एलटीआईमाइंडट्री और एचसीएल अमेरिका जैसी भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं।