दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार लाइनें हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए जरूरी: जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार लाइनें हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। जयशंकर ने उनकी सुरक्षा के लिए ठोस और प्रभावी आचार संहिता का आह्वान किया।


जयशंकर ने लाओस की राजधानी वियनतियाने में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ईएएस प्रक्रिया अगले वर्ष दो दशक पूरा कर रही है और भारत एक मजबूत ईएएस प्रक्रिया में योगदान देगा। 

उन्होंने कहा कि भारत अपनी एक्ट ईस्ट नीति के जरिए आसियान की एकता और केंद्रीयता को बनाए रखना जारी रखेगा। समुद्री सुरक्षा के बारे में जयशंकर ने कहा, दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाली संचार की समुद्री लाइनें (एसएलओसी) हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। 

उन्होंने कहा कि इसके लिए आचार संहिता को ठोस और प्रभावी होना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप होना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि आचार संहिता से देशों के वैध अधिकारों और हितों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनकी यह टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि उनके चीन के समकक्ष वांग यी भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए वियनतियाने में हैं। चीन दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है। जबकि फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान का भी समुद्री क्षेत्र पर चीन से विवाद है।

गाजा में तनाव कम करने का किया आह्वान
बैठक में जयशंकर ने गाजा में तनाव को कम करने और संयम बरतने का भी आह्वान किया। उन्होंने संघर्ष को समाप्त करने के लिए संवाद और कूटनीति के महत्व पर जोर दिया और भारत के रुख को स्पष्ट किया। 

अपने संबोधन के बाद जयशंकर ने एक्स पर लिखा, गाजा में तनाव कम करने और संयम बरतने का आह्वान किया जाना चाहिए। भारत फलस्तीन के लोगों को मानवीय मदद प्रदान करना जारी रखे हुए है। लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों पर हमले चिंताजनक हैं। भारत समुद्री परिवहन की स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में योगदान दे रहा है। 

भारत ने 15 जुलाई को फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) की  सेवाओं का समर्थन करने के लिए 2.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है। कई मंचों पर भारत ने गाजा के लिए दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है और मानवीय आधार पर गाजा में तनाव कम करने और संयम बरने का आह्वान किया है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध पर भी बोले जयशंकर
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर जयशंकर ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ मुलाकात की है। भारत किसी भी तरह से योगदान करने के लिए तैयार है। मोदी ने जून में इटली में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर जेलेंस्की से मुलाकात की। बाद मं उन्होंने अपने मॉस्को दौरे के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। 

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