महामारी की गलत सूचनाओं के प्रसार से मुकाबला करना एक बड़ी चुनौती

संयुक्त राष्ट्र। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत को महामारी के मद्देनजर ‘‘दोहरी सूचना चुनौती’’ का सामना करना पड़ा क्योंकि सोशल मीडिया एवं स्मार्टफोन एप्लीकेशन के जरिये शहरी आबादी के बीच जहां एक ओर भ्रामक और फर्जी सूचनाओं का प्रवाह था, वहीं ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में विभिन् न क्षेत्रीय भाषाओं के साथ अंतिम संचार का स् वरूप बदल जाता था। ठाकुर ने साथ ही इस बात पर जोर दिया कि गलत सूचना से निपटने के लिए प्रामाणिक जानकारी का प्रवाह महत्वपूर्ण है।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले द्रियां द्वारा सूचना एवं लोकतंत्र पर आयोजित मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन में कहा कि दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है, लेकिन इस दौरान उतने ही नुकसानदेह इन्फोडेमिक (सूचनाओं के प्रवाह) से मुकाबला करने का कार्य भी सदस्य देशों के लिए एक चुनौती है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि इन्फोडेमिक की समस् या से सर्वोच् च स्तर पर निपटा जाए।

ठाकुर ने कहा, ‘‘गलत सूचना और दुष्प्रचार लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, कीमती स्वास्थ्य लाभ के लिए चुनौती और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुपालन कमजोर हो सकता है जिससे अंतत: महामारी को नियंत्रित करने में उसकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।’’

उन्होंने कहा, ‘’वैश्विक महामारी के मद्देनजर भारत को घरेलू स्तर पर दोहरी सूचना चुनौती का सामना करना पड़ा। एक ओर शहरी आबादी को सोशल मीडिया एवं अन्य स्मार्टफोन एप्लिकेशन के जरिये भ्रामक एवं गलत सूचनाओं के तेजी से प्रसार की चुनौती का सामना करना पड़ा। जबकि दूसरी ओर हमारे पास ग्रामीण एवं दूरदराज के इलाकों में भी लोग थे जहां क्षेत्रवार व विभिन् न क्षेत्रीय भाषाओं के साथ अंतिम संचार का स् वरूप बदल जाता था।’’

ठाकुर ने साथ ही कहा कि भारत सरकार ने विज्ञान और तथ्यों के आधार पर त् वरित एवं स्पष्ट संचार के माध्यम से इन चुनौतियों का सामना किया।

उन्होंने कहा कि सूचनाओं का नियमित और प्रामाणिक प्रवाह सुनिश्चित करना गलत सूचनाओं, फर्जी खबरों और झूठे आख्यानों का मुकाबला करने के लिए भारतीय प्रतिक्रिया का एक महत्वपूर्ण नीतिगत घटक रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में जब दुनिया कोविड-19 महामारी के आर्थिक और सामाजिक नतीजों से जूझ रही है, लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन करना, पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गया है।

ठाकुर ने गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के भारतीय अनुभव से कुछ महत्वपूर्ण सीख साझा कीं और इस बात पर जोर दिया कि ‘‘हम मानते हैं कि गलत सूचना से निपटने के लिए प्रामाणिक जानकारी का प्रवाह महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने रेखांकित किया कि चूंकि दुष्प्रचार कई रूपों में आता है, इसलिए भविष्य में तेजी से वैश्विक प्रतिक्रिया के लिए विभिन्न प्रकार के दुष्प्रचारों के संबंध में तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए “लक्षित रणनीतियां” विकसित करने की आवश्यकता है।

ठाकुर ने संदेश की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने वाले अधिकारियों और चिकित्सा विशेषज्ञों के महत्व पर जोर दिया। साथ ही कहा कि सार्वजनिक जीवन में प्रतिष्ठित लोग, खिलाड़ी, मशहूर हस्तियां और यहां तक कि सोशल मीडिया को प्रभावित करने वाले लोगों को इन संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के लिए शामिल किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के बीच मीडिया साक्षरता के संबंध में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है ताकि उन्हें दुष्प्रचार से बेहतर तरीके से निपटने के लिए सशक्त बनाया जा सके। लोगों से नियमित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है, ताकि जमीनी सबूतों के आधार पर विकसित हो रही सूचना-आधारित संचार रणनीति को ठीक किया जा सके।’’

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सर्वसम्मति से 24-31 अक्टूबर को ‘वैश्विक मीडिया और सूचना साक्षरता सप्ताह’ के रूप में घोषित किया था ताकि मीडिया साक्षरता कौशल प्रदान करके दुष्प्रचार और गलत सूचना के प्रसार के बारे में चिंताओं को दूर किया जा सके।

भारत उन देशों के प्रमुख समूह में शामिल है, जिन्होंने इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया। भारत कोविड-19 के संदर्भ में ‘इन्फोडेमिक’ पर अपनी तरह के पहले क्रॉस-रीजनल स्टेटमेंट के सह-लेखकों में से एक था और नयी दिल्ली ने संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग के “सत्यापित” और ‘प्लेज टू पॉज़’ पहल का सक्रिय रूप से समर्थन किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन् फोडेमिक के दौरान गलत सूचनाओं से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर सदस्य देशों के साथ तालमेल स् थापित करना और एक-दूसरे से सीखना इन मुद्दों को समझने और चिंताओं को दूर करने के लिए उपयुक्त समाधान खोजने में काफी मददगार साबित होगा।’’

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