भारत अब वैश्विक कच्चे तेल आपूर्ति में अहम भूमिका निभा रहा है। करीब तीन साल पहले तक किसी ने यह नहीं सोचा था कि रूस पर प्रतिबंधों के बाद भारत उन देशों के लिए बड़ा क्रूड ऑयल स्रोत बन जाएगा जो रूसी तेल खरीद रहे थे, खासकर यूरोपीय देशों के लिए। इस बदलाव के बाद भारतीय बास्केट में रूसी तेल की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी तक पहुंच गई।
जुलाई में कच्चे तेल के इंपोर्ट में गिरावट
सरकार के हालिया आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2025 में भारत का कच्चे तेल आयात मासिक आधार पर 8.7 फीसदी घटकर 18.56 मिलियन मीट्रिक टन रह गया, जो फरवरी 2024 के बाद का सबसे कम स्तर है। सालाना आधार पर, जुलाई 2025 में इंपोर्ट 19.40 मिलियन टन से 4.3 फीसदी कम हुआ।
क्रूड ऑयल प्रोडक्ट्स के इंपोर्ट में भी गिरावट देखी गई है, जो सालाना आधार पर लगभग 12.8 फीसदी घटकर 4.31 मिलियन टन रह गया। वहीं, पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 2.1 फीसदी की कमी आई और यह 5.02 मिलियन टन पर रह गया। जुलाई में भारत की फ्यूल खपत मासिक आधार पर 4.3 फीसदी घटकर 19.43 मिलियन टन दर्ज की गई।
अमेरिका द्वारा अतिरिक्त शुल्क
भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका ने 27 अगस्त से 50 फीसदी तक का अतिरिक्त शुल्क लगाने का संकेत दिया है। इससे पहले अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 25 फीसदी शुल्क लगा रखा था। यह अतिरिक्त शुल्क विशेष रूप से भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर लागू किया जाएगा। व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ भविष्य के व्यापारिक संबंधों पर “बहुत खुले दिमाग” से विचार करेगा।
ये आंकड़े और कदम यह दर्शाते हैं कि वैश्विक तेल बाजार में भारत की भूमिका बढ़ रही है, जबकि घरेलू मांग और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी नए तनाव पैदा हो रहे हैं।