भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक से पहले विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता तेज हो गई है। मंगलवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर जा पहुंचा। हालांकि कारोबार के अंत में आंशिक सुधार देखने को मिला, फिर भी दिन के समापन तक रुपये में 16 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी और भारत पर रूसी तेल खरीदने को लेकर की गई टिप्पणी से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है। कारोबार के दौरान रुपया 88 के स्तर को भी पार करता नजर आया।
क्या डॉलर के सामने घुटने टेक रहा है रुपया?
इस सवाल को लेकर चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि एक ओर जहां अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है, वहीं घरेलू शेयर बाजार में लगातार बिकवाली देखने को मिल रही है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, जिससे रुपये पर और दबाव बन रहा है। जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में रुपये की कमजोरी जारी रह सकती है और यह डॉलर के मुकाबले 90 के आंकड़े को भी छू सकता है।
मंगलवार को रुपये का प्रदर्शन
मंगलवार को रुपया 87.95 पर खुला और दिन के कारोबार में यह 87.75 तक चढ़ा। हालांकि, अंत में यह 87.82 (अनंतिम) पर बंद हुआ, जो कि सोमवार के मुकाबले 16 पैसे कमजोर है। सोमवार को रुपये में 48 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी। बीते एक महीने में भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले करीब 2.5 प्रतिशत कमजोर हो चुकी है। कुछ मंचों पर तो रुपये ने 88 का स्तर भी पार कर लिया।
अमेरिकी टैरिफ का दबाव
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में भारत पर अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी है। साथ ही, भारतीय तेल खरीद नीति को लेकर भी कड़ा रुख अपनाया है। ट्रंप ने यह भी आरोप लगाया कि भारत रूसी तेल को भारी मात्रा में खरीद कर मुनाफे में बेच रहा है, जिस पर उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। साथ ही, उन्होंने रूसी हथियारों की खरीद पर भी प्रतिबंध लगाने की बात कही।
बाजार में घबराहट, निवेशकों में बेचैनी
रुपये की कमजोरी के बीच घरेलू शेयर बाजार में भी दबाव बना रहा। हालांकि बीएसई सेंसेक्स 308 अंक की तेजी के साथ 80,710 पर और निफ्टी 73 अंक बढ़कर 24,649 पर बंद हुआ, लेकिन एफआईआई ने सोमवार को 2,566 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इससे बाजार की धारणा कमजोर बनी हुई है।
कमोडिटी विश्लेषकों की राय
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी के अनुसार, भारत-अमेरिका व्यापार तनाव और एफआईआई की लगातार बिकवाली से रुपये में कमजोरी बनी रह सकती है। इसके अलावा, आरबीआई की मौद्रिक नीति बैठक से पहले बाजार में अनिश्चितता का माहौल है। हालांकि, अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में संभावित कटौती से डॉलर में कुछ नरमी आ सकती है, जिससे रुपये को आंशिक सहारा मिल सकता है।
आरबीआई की नीति बैठक पर नजरें
आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक सोमवार से शुरू हो चुकी है और बुधवार को ब्याज दरों को लेकर फैसला सामने आएगा। इस दौरान निवेशक सतर्क रुख अपनाए हुए हैं, क्योंकि उम्मीद है कि नीति में कोई बड़ा बदलाव आ सकता है।
डॉलर इंडेक्स मजबूत, क्रूड में गिरावट
दूसरी ओर, डॉलर इंडेक्स 0.18 प्रतिशत बढ़कर 98.68 पर पहुंच गया है। वहीं कच्चे तेल की कीमतों में भी नरमी देखने को मिली है। ओपेक+ द्वारा उत्पादन बढ़ाने की संभावना जताए जाने के बाद ब्रेंट क्रूड वायदा 0.97% गिरकर 68.09 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।