दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र के नियुक्त उपराज्यपाल (एलजी) ने वास्तव में राष्ट्रीय राजधानी में शासन की एक अनिर्वाचित मशीनरी बनाई है जो चुनी हुई सरकार के समानांतर चलती है। दिल्ली सरकार ने एलजी कार्यालय पर शासन को पटरी से उतारने का भी आरोप लगाया।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा, एलजी ने लगातार शक्तियों का प्रयोग करके गैर-सहमति के चलते दिल्ली की निर्वाचित सरकार के कामकाज को रोक दिया है। दरअसल, संविधान पीठ केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं के नियंत्रण से जुड़े मामले पर सुनवाई कर रही है।
हलफनामे में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, एकतरफा कार्रवाई करके शासन की समानांतर मशीनरी को प्रभावित करना मंत्रिपरिषद की शक्ति का प्रत्यक्ष और असंवैधानिक उपयोग है। उपराज्यपाल के नियमित हस्तक्षेप से विधिवत निर्वाचित राज्य सरकार की शक्तियों को हड़पने का बोध होता है। यह न केवल लोकतंत्र की योजना को बाधित करता है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण आदि भी प्रभावित होती है।हलफनामे में दावा किया गया कि विधिवत चुनी हुई सरकार की शक्तियों के असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक अतिक्रमण ने दिल्ली सरकार के कामकाज को चुनौतीपूर्ण और अनावश्यक रूप से कठिन बना दिया है। यह संविधान (59वें संशोधन) अधिनियम, 1991 के इरादे और उद्देश्य के विपरीत है। हलफनामे में कहा गया है कि इस साल मई में नए एलजी ने राष्ट्रपति को मामला रेफर (संदर्भित) किए बिना या एकतरफा कार्यकारी ‘अभ्यास’ का संचालन करके या निर्वाचित सरकार द्वारा लिए गए कार्यकारी निर्णयों को रोककर दिल्ली के के प्रशासन में गंभीर रूप से हस्तक्षेप किया है।