मुंबई में आयोजित एशिया-पैसिफिक मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी सम्मेलन (SMISS-AP) के पांचवें वार्षिक कार्यक्रम में अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने डॉक्टरों को संबोधित करते हुए अपने जीवन के संघर्षों और प्रेरणादायक अनुभवों को साझा किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बनाना समय की मांग है और इसके लिए वे हरसंभव सहयोग देने को तैयार हैं।
अडानी का संबोधन: इंसानियत और उम्मीद पर ज़ोर
गौतम अडानी ने डॉक्टरों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, “आप रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञ ज़रूर हैं, लेकिन असल मायनों में समाज की रीढ़ हैं। आपकी काबिलियत और मानवता देश को मजबूती देती है।”
उन्होंने इस मौके पर अपनी पसंदीदा फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह फिल्म उन्हें केवल मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत के संदेश के लिए प्रिय है। उन्होंने कहा, “मुन्नाभाई मरीजों को सिर्फ दवा से नहीं, बल्कि अपनापन और संवेदना से ठीक करता है।”
“सपने वो नहीं जो नींद में आएं…”
गौतम अडानी ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा, “सपने वो नहीं जो नींद में आते हैं, बल्कि वो हैं जो आपकी नींद उड़ा दें।” उन्होंने बताया कि महज 16 साल की उम्र में उन्होंने सेकेंड क्लास का टिकट लेकर बिना किसी डिग्री, नौकरी या आर्थिक सहारे के मुंबई का रुख किया था। उनकी यात्रा इस विश्वास पर टिकी थी कि जब इरादे सच्चे हों, तो पूरी कायनात मदद के लिए आगे आती है।
सोच बदलनी होगी, तभी बदलाव संभव है
सम्मेलन में बदलाव की बात करते हुए उन्होंने महात्मा गांधी के कथन को याद किया— “अगर समाज में बदलाव लाना है, तो सबसे पहले सोच में बदलाव लाना होगा।” उन्होंने 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा लाई गई लाइसेंस प्रणाली में सुधार और 1991 की आर्थिक उदारीकरण नीतियों का भी ज़िक्र किया, जिन्होंने देश की दिशा को बदला।
निष्कर्ष
अडानी के भाषण ने यह स्पष्ट कर दिया कि सफलता केवल डिग्रियों या संसाधनों से नहीं, बल्कि हिम्मत, उम्मीद और इंसानियत से मिलती है। डॉक्टरों की भूमिका को उन्होंने न केवल चिकित्सा में, बल्कि समाज को जोड़ने वाले महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में बताया।