ईपीएफओ निकासी नियमों में बदलाव की तैयारी, सदस्यों को मिल सकती है बड़ी राहत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के करोड़ों खाताधारकों को बड़ी सुविधा देने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार सरकार निकासी नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है, जिससे सदस्य अपनी जमा पूंजी का उपयोग अधिक लचीले तरीके से कर सकेंगे।

अभी तक ईपीएफ खाते से पूरी राशि केवल 58 वर्ष की आयु पूरी होने पर या फिर दो महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहने की स्थिति में ही निकाली जा सकती है। वहीं, शादी, शिक्षा या घर खरीदने जैसे विशेष मामलों में आंशिक निकासी की अनुमति है, लेकिन इसके लिए सेवा अवधि और राशि पर सख्त शर्तें लागू रहती हैं।

सूत्रों का कहना है कि सरकार इन शर्तों को सरल करने और निकासी की सीमा बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। यदि यह प्रस्ताव अमल में आता है तो खाताधारकों को अपने फंड का उपयोग जरूरत के अनुसार करने की अधिक स्वतंत्रता मिलेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “यह पैसा सदस्यों का है, इसलिए उन्हें इसका इस्तेमाल अपनी आवश्यकता के अनुसार करने की पूरी आजादी मिलनी चाहिए।”

मौजूदा नियम और सीमाएं
वर्तमान में निकासी के लिए कई शर्तें लागू हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • भाई-बहन या बच्चों की शादी के लिए कम से कम सात वर्ष की सेवा पूरी होने पर अंशदान और ब्याज का 50 फीसदी तक निकाला जा सकता है।
  • घर खरीदने या निर्माण के लिए न्यूनतम तीन वर्ष की सेवा के बाद संचित राशि का 90 फीसदी तक उपयोग करने की अनुमति है।
  • बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए भी सात वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद अंशदान का 50 फीसदी निकाला जा सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों को आसान बनाने से खासकर निम्न और मध्यम आय वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें अचानक जरूरत पड़ने पर कर्ज लेने की बजाय अपने ही फंड का इस्तेमाल करने का विकल्प मिलेगा।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बदलाव इस तरह से होने चाहिए कि सदस्यों को लचीलापन तो मिले, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा भी बनी रहे।

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