अपनी तीन दिवसीय संयुक्त अरब अमीराक की यात्रा के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर अबू धाबी में बन रहे भव्य हिन्दू मंदिर का जायजा लिया, जिसे अरब प्रायद्वीप में पहला पारंपरिक मंदिर कहा जा रहा है और उन्होंने इसके “तेजी से” काम होने पर प्रसन्नता व्यक्त की है। बुधवार को जयशंकर ने संयुक्त अरब अमीरात में बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर के निर्माणाधीन स्थल का दौरा किया।
पहले हिन्दू मंदिर को देखने पहुंचे
अबू धाबी में बन रहे पहले हिन्दू मंदिर को देखने के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि, “गणेश चतुर्थी के मौके पर अबू धाबी में निर्माणाधीन BAPS हिंदू मंदिर के दर्शन करने का सौभाग्य मिला। तेजी से प्रगति को देखकर खुशी हुई और सभी शामिल लोगों की भक्ति की सराहना की। साइट पर BAPS टीम, सामुदायिक समर्थकों और भक्तों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की।” इस मंदिर को शांति, सहिष्णुता और सद्भाव का प्रतीक बताते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने प्रतिष्ठित मंदिर के निर्माण में सभी भारतीयों के प्रयासों की सराहना की। संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी के बीएपीएस श्री स्वामीनारायण मंदिर का निर्माण बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था द्वारा किया जा रहा है।
शांति और सहिष्णुता का मंदिर
दुनिया भर से कई हजार भक्तों, शुभचिंतकों और मेहमानों ने 2018 में अबू मुरीखेह में शिला पूजन समारोह में भाग लिया था, जब अबू धाबी में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया था। तब से मंदिर के अधिकारियों के अनुसार निर्माण स्थल पर सभी क्षेत्रों से कई आगंतुक मंदिर निर्माण देखने आए हैं। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय दूतावास ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “ईएएम डॉ एस जयशंकर की यात्रा की शुभ शुरुआत। विदेश मंत्री ने बीएपीएस अबू धाबी मंदिर का दौरा किया और इसकी जटिल वास्तुकला में एक ईंट रखी। साथ ही प्रतिष्ठित मंदिर के निर्माण में सभी भारतीयों के प्रयासों की सराहना की, जो शांति, सहिष्णुता और सद्भाव का प्रतीक है।” आपको बता दें कि, 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीवन के सभी क्षेत्रों के 1,700 से अधिक भारतीय और अमीराती गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में पारंपरिक पत्थर के मंदिर के एक मॉडल का अनावरण किया था।
कैसा होगा मंदिर? एयर प्रोडक्ट्स के प्रिंसिपल सिविल इंजीनियर संदीप व्यास ने कहा कि, प्रारंभिक भू-तकनीकी सर्वेक्षण से पता चला है कि जिस भूखंड पर मंदिर बनाई जानी थी, उसके केंद्र में 20 मीटर मोटा पत्थर मिला है। जिसने सभी लोगों को आश्चर्यकित तक दिया। वहीं, आरएसपी के प्रमुख स्ट्रक्चरल इंजीनियर वसियामेद बहलिम ने कहा कि, “हमें मौजूदा जमीनी स्तर के बहुत करीब सक्षम आधार मिला है।” शापूरजी पल्लोनजी के प्रोजेक्ट मैनेजर टीनू साइमन ने कहा कि, “जब हमने इस परियोजना को शुरू किया, तो मैं वास्तव में आश्चर्यचकित था क्योंकि खुदाई के स्तर तक पहुंचने से पहले, हम उच्च चट्टान पर पहुंच गए थे। 15 से अधिक वर्षों से मैं जीसीसी में काम कर रहा हूं और पहली बार मुझे इतनी अच्छी नींव इतनी सीमा के भीतर मिली है।” कैसा है मंदिर का डिजाइन? एक हजार साल तक अडिग रहने वाले इस मंदिर के नींव के डिजाइन के बारे में बात करते हुए बीएपीएस के प्लानिंग सेल के संजय पारिख ने बताया कि, “मंदिर का निर्माण पूरी तरह से पत्थरों से हो रहा है और हमारे प्राचीन शास्त्रों के मुताबिक मंदिर निर्माण में लौह धातु का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा”। उन्होंने कहा कि, मंदिर की नींव को काफी ज्यादा मजबूत करने के लिए फ्लाइ एश का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें 55 प्रतिशत सीमेंट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया गया है, जिसने इसके कार्बन फुटप्रिंट को कम कर दिया है। बीएपीएस के परियोजना निदेशक जसबीर सिंह साहनी ने कहा कि, कंक्रीट को मजबूती देने के लिए बांस की छड़ें और कांच जैसी बुनियादी सामग्री का उपयोग करने की अनूठी भारतीय तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।