किसानों को वैश्विक दामों के चलते नहीं मिल रहा उचित मूल्य: गडकरी

नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार को उन किसानों को विशेष सहयोग देने की आवश्यकता है जिन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाता। उन्होंने कहा कि फसलों की कीमतें वैश्विक कारकों से प्रभावित होती हैं और यही कारण है कि भारत के किसान आर्थिक संकट झेल रहे हैं।

‘भारत जैव-ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी एक्सपो’ के दूसरे संस्करण को संबोधित करते हुए गडकरी ने उदाहरण देते हुए कहा कि चीनी का दाम ब्राजील, तेल का मलेशिया, मक्का का अमेरिका और सोयाबीन का मूल्य अर्जेंटीना तय करता है। उन्होंने कहा, “भारत की 65 प्रतिशत आबादी खेती से जुड़ी है, लेकिन देश के सकल घरेलू उत्पाद में उनका योगदान केवल 14 प्रतिशत है। यह असमानता किसानों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है।”

मक्का से इथेनॉल उत्पादन से बढ़ी आय
गडकरी ने बताया कि सरकार द्वारा मक्का से बायो-एथेनॉल उत्पादन की अनुमति दिए जाने के बाद इसका भाव 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इस कदम से किसानों को करीब 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हुई है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा और बिजली क्षेत्र में कृषि का विविधीकरण समय की मांग है।

ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वैकल्पिक ईंधन और जैव ईंधन का भविष्य भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। “आज हम ऊर्जा के आयातक हैं, लेकिन वह दिन आएगा जब हम ऊर्जा के निर्यातक बनेंगे। यह देश के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि होगी,” उन्होंने कहा।

वायु प्रदूषण पर चिंता
गडकरी ने वायु प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए कहा कि भारत में 40 प्रतिशत प्रदूषण परिवहन ईंधन से होता है। यह विशेषकर दिल्ली जैसे महानगरों के लिए गंभीर समस्या है। उन्होंने कहा कि देश हर साल 22 लाख करोड़ रुपये का जीवाश्म ईंधन आयात करता है, जिससे प्रदूषण और आयात निर्भरता दोनों बढ़ती हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदूषण कम करने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की ओर कदम बढ़ाना ही देशहित में सबसे बड़ा समाधान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here