जम्मू संभाग के बाद अब कश्मीर में भी बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। गुरुवार को मौसम साफ हो गया, लेकिन लोगों के बीच तबाही का डर कायम है। पुलवामा जिले के पांपोर और टेंगन बाईपास पर बांध टूटने तथा बडगाम के जूनीपोरा में झेलम नदी के तटबंध में दरार आने से कई गांव जलमग्न हो गए। इसके चलते करीब 9,000 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।
कश्मीर मंडलायुक्त अंशुल गर्ग ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की आवश्यकता नहीं है। प्रभावित इलाकों में राहत केंद्र सक्रिय कर दिए गए हैं, जबकि बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित रही।
किश्तवाड़ जिले में द्रबशाला स्थित रतले जलविद्युत परियोजना का अस्थायी शेड भूस्खलन की चपेट में आ गया, जिसमें पांच लोग दब गए थे। सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया और इलाज जारी है। उधमपुर के चिनैनी इलाके में भी भूस्खलन से एक स्कूल और मकान बह गए। श्री माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग भी 26 अगस्त से बंद है।
सीमा पर भी असर
जम्मू और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में आई बाढ़ से भारत-पाक सीमा की 110 किमी से अधिक बाड़ क्षतिग्रस्त हो गई और बीएसएफ की लगभग 90 चौकियां डूब गईं।
यातायात और रेल सेवाएं ठप
26 अगस्त से जम्मू और कटड़ा के बीच नियमित ट्रेनें नहीं चल रही हैं। कटड़ा शटल ट्रेन सेवा भी लगातार दूसरे दिन बंद रही। वहीं, उधमपुर के थर्ड इलाके में पहाड़ धंसने से जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग तीसरे दिन भी बंद रहा, जिससे घाटी और चिनाब वैली से आवाजाही प्रभावित रही।
केंद्रीय टीम का दौरा
केंद्रीय अंतर-मंत्रालयीय दल ने कठुआ और सांबा जिलों का दौरा कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और क्षतिग्रस्त ढांचों का जायजा लिया।
मौसम विभाग ने राहत की खबर दी है कि 12 सितंबर तक मौसम में बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है, हालांकि हल्की बारिश के आसार बने रहेंगे।