शेयर बाजार में भारी गिरावट: निवेशकों के 1.4 लाख करोड़ रुपये डूबे

मुंबई। शेयर बाजार इन दिनों जबरदस्त उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में हाल की गिरावट ने निवेशकों को करीब ₹1.4 लाख करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। जून के उच्चतम स्तर से अब तक बीएसई के शेयरों में 22% की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह बेयर जोन में पहुंच गया है, जबकि एनएसई के शेयर भी 18% लुढ़क चुके हैं।

इस भारी गिरावट के पीछे प्रमुख कारण जेन स्ट्रीट विवाद, सेबी की सख्त निगरानी, टर्नओवर में गिरावट, और ब्रोकरेज फर्मों की रेटिंग में कटौती को माना जा रहा है।

जेन स्ट्रीट विवाद ने बढ़ाई बाजार की चिंता

भारतीय बाजार में अमेरिकी क्वांट ट्रेडिंग फर्म जेन स्ट्रीट के खिलाफ सेबी की सख्त कार्रवाई ने हालात और खराब कर दिए। 3 जुलाई को सेबी ने एक अंतरिम आदेश के तहत जेन स्ट्रीट की भारतीय बाजार में भागीदारी पर रोक लगाते हुए इसके ₹4,840 करोड़ के एसेट्स फ्रीज कर दिए। सेबी ने आरोप लगाया कि फर्म ने बैंक निफ्टी में हेरफेर किया। इस कार्रवाई के चलते डेरिवेटिव्स सेगमेंट में भारी दबाव देखा गया।

इस फैसले के बाद बीएसई का शेयर 10 जून के ₹3,030 से गिरकर ₹2,376 पर आ गया, जिससे ₹26,600 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ। वहीं एनएसई का शेयर 21 जून को ₹2,590 पर था, जो अब ₹2,125 रह गया है। इस गिरावट से एनएसई का मार्केट कैप करीब ₹1.15 लाख करोड़ घट गया।

रेटिंग में कटौती ने गिरावट को और तेज किया

नियामकीय अनिश्चितता और ट्रेडिंग वॉल्यूम में कमी को देखते हुए कई ब्रोकरेज फर्मों ने बीएसई और एनएसई की रेटिंग घटा दी है। आईआईएफएल कैपिटल ने बीएसई की रेटिंग को ‘ऐड’ से घटाकर और कड़ा किया है। फर्म का मानना है कि सेबी की सख्ती, ट्रेडिंग फर्मों पर बढ़ती नजर और खुदरा निवेशकों के नुकसान से वॉल्यूम पर दबाव बना रहेगा।

इससे पहले मोतीलाल ओसवाल ने भी एक्सपायरी डे में बदलाव को लेकर चिंता जताई थी। जेफरीज का आकलन है कि हालांकि जेन स्ट्रीट का बीएसई के कुल टर्नओवर में हिस्सा केवल 1% था, लेकिन वॉल्यूम में गिरावट और एक्सपायरी शेड्यूल में बदलाव बाजार के लिए अधिक गंभीर चुनौती हैं।

सेबी की सख्ती और एक्सपायरी बदलाव का सीधा असर

सेबी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, FY25 में खुदरा निवेशकों को डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से ₹1.05 लाख करोड़ का घाटा हुआ है। FY24 में जहां 86.3 लाख ट्रेडर्स सक्रिय थे, वहीं FY25 में यह संख्या बढ़कर 96 लाख हो गई, लेकिन औसत नुकसान ₹86,728 से बढ़कर ₹1,10,069 हो गया।

1 सितंबर से NSE और BSE में एक्सपायरी दिनों में बदलाव किया गया है – एनएसई में मंगलवार और बीएसई में गुरुवार को एक्सपायरी होगी। आईआईएफएल का अनुमान है कि इससे बीएसई का वॉल्यूम 10-12% तक घट सकता है, जिस आधार पर फर्म ने बीएसई का वैल्यूएशन 50x से घटाकर 45x कर दिया और इसका उचित मूल्य ₹2,200 बताया।

हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग पर निगरानी से बढ़ी अनिश्चितता

हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडर्स, जो कोलोकेशन सर्वरों के माध्यम से लेनदेन करते हैं, डेरिवेटिव्स वॉल्यूम में लगभग 55-60% हिस्सेदारी रखते हैं। आईआईएफएल का मानना है कि इन ट्रेडर्स पर सेबी की बढ़ती निगरानी के कारण निकट भविष्य में वॉल्यूम में और गिरावट संभव है।

हालांकि दीर्घकालिक दृष्टिकोण में बाजार के स्थिर होने और मुनाफे की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन मौजूदा माहौल में निवेशकों और एक्सचेंजों के लिए हालात चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं।

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