लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने डी. फार्मा पाठ्यक्रम के लिए मान्यता देने में देरी पर सख्त रुख अपनाते हुए पूरी काउंसलिंग प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) को निर्देश दिया है कि वह लंबित आवेदनों पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय लें।
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने अयोध्या के रामनेवाज सिंह फार्मेसी कॉलेज समेत पांच संस्थानों की याचिका स्वीकार करते हुए सुनाया। याचिकाकर्ता कॉलेजों ने दलील दी थी कि उन्होंने डी. फार्मा कोर्स संचालित करने के लिए समय से आवेदन किया था, लेकिन पीसीआई ने अब तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया।
कोर्स की मंजूरी के बिना जारी की गई काउंसलिंग
याचिकाकर्ताओं ने अदालत में बताया कि पीसीआई ने जहां एक ओर मान्यता के आवेदनों को लंबित रखा, वहीं दूसरी ओर काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी गई। इससे कॉलेजों और छात्रों दोनों के लिए भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
सरकारी पक्ष भी कोर्ट में उपस्थित
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और पीसीआई के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखा। सभी तर्कों पर विचार करते हुए न्यायालय ने एक पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए काउंसलिंग को रद्द कर दिया और पीसीआई को यह निर्देश दिया कि वह कोर्स की मंजूरी के मामले में जल्द नीतिगत निर्णय ले।