दिल्ली में 9वीं क्लास में ही फेल कर देते हैं, बड़ा बेईमानी का काम होता है: मोदी

दिल्ली चुनाव नजदीक है, इसी बीच सभी पार्टियां दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के एजुकेशन मॉडल पर सीधा प्रहार किया है. आम आदमी पार्टी चुनाव में जीत हासिल करने के लिए अपने एजुकेशन मॉडल की सफलता गिनाती है. अब इसी को लेकर पीएम मोदी ने कुछ बच्चों से बातचीत की.

छात्रों के साथ बातचीत में, पीएम नरेंद्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे आम आदमी पार्टी अपनी छवि सुधारने के लिए छात्रों के भविष्य को नुकसान पहुंचा रही है.

पीएम मोदी की बच्चों के साथ बातचीत का वीडियो सामने आया है. जिसमें पीएम के इर्द-गिर्द बच्चे बैठे हैं. पीएम मोदी बच्चों से कह रहे हैं कि दिल्ली में 9वीं कक्षा के बाद बच्चों को आगे जाने ही नहीं दिया जाता है. पीएम ने आगे कहा, जिन बच्चों की गारंटी है कि वो आगे पास होंगे सिर्फ उन्हीं को 9वीं क्लास से आगे जाने दिया जाता है.

पीएम मोदी ने आप पर हमला करते हुए कहा, बच्चों को आगे इसीलिए नहीं जाने दिया जाता, क्योंकि आप को लगता है कि अगर उन बच्चों का रिजल्ट खराब हो जाएगा तो हमारी सरकार की इज्जत खराब हो जाएगी, इसीलिए बड़ा बेइमानी का काम होता है.

एजुकेशन सिस्टम पर किया हमला

इससे पहले भी 3 जनवरी को पीएम मोदी ने आम आमदी पार्टी के एजुकेशन सिस्टम पर हमला किया था. उन्होंने कहा था कि पिछले 10 साल से आप ने दिल्ली के एजुकेशन सिस्टम को पहुंचाने का आरोप लगाया. अशोक विहार के रामलीला मैदान में लोगों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, शिक्षा के लिए केंद्र सरकार ने जो धन आवंटित किया है उसको दिल्ली में सही से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.

कांग्रेस ने भी AAP को घेरा

दिल्ली के चुनाव में न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी के उस एजुकेशन सिस्टम को घेरा है, जिसको हमेशा संयोजक अरविंद केजरीवाल से लेकर सीएम आतिशी और पार्टी के सभी नेता कामयाबी के रूप में गिनाते हैं. कांग्रेस ने रविवार को आम आदमी पार्टी (आप) के शिक्षा मॉडल पर निशाना साधा. पार्टी ने आप सरकार की दिल्ली की शीला दीक्षित की सरकार के समय से तुलना की.

अजय माकन ने कहा: वो अपने शिक्षा मॉडल के बारे में बहुत ज्यादा बात करते हैं, लेकिन डेटा कुछ और ही इशारा करता है. 2014-15 में यह 123,522 छात्र थे और 2019-2020 तक घटकर 109,098 रह गए. कोविड के बाद, इसमें फिर से बढ़ोतरी हुई है, केवल इसलिए क्योंकि अधिक छात्र निजी से सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित हो गए क्योंकि वे ज्यादा फीस नहीं दे सकते थे, फिर भी, 2023-24 में यह आंकड़ा 146,885 था. वहीं, शीला दीक्षित के समय में 2013-2014 में 12 पास छात्रा की संख्या 147,420 थी.

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