हैदराबाद। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा है कि भारत की न्यायिक प्रणाली को कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें सबसे प्रमुख है—मुकदमों का वर्षों तक लंबित रहना। उन्होंने कहा कि देश की न्याय व्यवस्था में ऐसी भी घटनाएं देखने को मिली हैं जहाँ निर्दोष व्यक्तियों ने विचाराधीन कैदी के रूप में लंबा समय जेल में बिताया।
नालसार लॉ यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा, “हमारे देश की न्याय प्रणाली अद्वितीय समस्याओं से जूझ रही है। मुकदमों का वर्षों तक लंबित रहना, न्याय में देरी और इसके कारण निर्दोषों को जेल में रहना—ये ऐसी चुनौतियां हैं जिनका समाधान हमें मिलकर खोजना होगा। हमारे युवाओं की प्रतिभा ही इस दिशा में बदलाव ला सकती है।”
उन्होंने छात्रों से विदेश में छात्रवृत्ति के ज़रिए शिक्षा प्राप्त करने की सलाह दी, ताकि उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ न पड़े। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सफलता का सही मार्ग ईमानदारी और आदर्शों से होकर गुजरता है, प्रभावशाली संबंधों के जरिए नहीं।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में अमेरिका के वरिष्ठ संघीय न्यायाधीश जेड एस राकॉफ की पुस्तक का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए आशा जताई है कि आम नागरिक इन चुनौतियों से निपटने में भूमिका निभाएंगे।
इस कार्यक्रम में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और तेलंगाना हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुजॉय पॉल भी उपस्थित रहे।