भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 30 मई 2025 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 1.23 अरब डॉलर की कमी आई है। इसके बाद कुल भंडार 692.72 अरब डॉलर से घटकर 691.49 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले के सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से वृद्धि हुई थी। आइए जानते हैं इस गिरावट के पीछे के कारण, इसके संभावित प्रभाव और आगे की स्थिति पर।
विदेशी मुद्रा भंडार क्या होता है?
विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की आर्थिक मजबूती का एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है। यह केंद्रीय बैंक (भारत में भारतीय रिजर्व बैंक) के पास रखी विदेशी मुद्राओं और अन्य संपत्तियों का संग्रह होता है, जो देश की आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
30 मई 2025 तक के सप्ताह में क्या बदलाव हुआ?
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कुल 1.237 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज हुई। हालांकि, इस दौरान सोने के भंडार में 0.481 अरब डॉलर की वृद्धि हुई, जो अब 60.66 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। साथ ही, विशेष आहरण अधिकार (SDR) में भी 0.112 अरब डॉलर की मामूली बढ़ोतरी हुई और यह अब 18.25 अरब डॉलर हो गया है।
भंडार घटने के कारण
- रिजर्व बैंक रुपये की अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करता है। रुपये के गिरावट के समय आरबीआई ने डॉलर बेचकर मुद्रा को स्थिर करने की कोशिश की हो सकती है।
- विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी मुद्राओं के मूल्य में वैश्विक बाजारों के उतार-चढ़ाव का प्रभाव भी पड़ा।
- आयात बिल में वृद्धि और विदेशी कर्ज के भुगतान से भी विदेशी मुद्रा पर दबाव बढ़ा।
- विश्व बाजारों में अस्थिरता जैसे अमेरिकी नीतियों में बदलाव या कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने भी भंडार को प्रभावित किया।
पिछले कुछ सप्ताहों का ट्रेंड
23 मई 2025 को भंडार में 6.992 अरब डॉलर की तेज वृद्धि हुई थी, जबकि 16 मई को सोने की कीमतों में गिरावट के कारण 4.888 अरब डॉलर की कमी देखी गई थी। 25 अप्रैल 2025 को भंडार 1.983 अरब डॉलर बढ़कर 688.129 अरब डॉलर पर था।
विदेशी मुद्रा भंडार का स्तर
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 में अपने उच्चतम स्तर 704.885 अरब डॉलर तक पहुंचा था, लेकिन तब से इसमें उतार-चढ़ाव जारी है।
अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
विदेशी मुद्रा भंडार में कमी से रुपये की स्थिरता प्रभावित हो सकती है, जिससे आयात महंगा हो सकता है। हालांकि, आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्पष्ट किया है कि 30 मई तक भंडार भारत के 11 महीने के आयात खर्च को पूरा करने के लिए पर्याप्त है, जो आर्थिक दृष्टि से सकारात्मक संकेत है। भंडार का मजबूत होना देश की आर्थिक मजबूती को दर्शाता है, लेकिन लंबी अवधि तक कमी बनी रहने पर निवेशकों के विश्वास पर असर पड़ सकता है।