डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका में दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा व्यापार ने रफ्तार पकड़ ली है। भारत ने इस साल की शुरुआत से ही अमेरिकी कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। जनवरी 2025 से अब तक अमेरिका से भारत का क्रूड ऑयल इंपोर्ट 51 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जो कि पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।
तेल आयात में तेज़ी: अप्रैल-जून तिमाही में 114% उछाल
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2025 से भारत ने अमेरिका से औसतन 0.271 मिलियन बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 0.18 मिलियन बैरल प्रतिदिन था। अप्रैल से जून 2025 की तिमाही में यह वृद्धि 2024 की तुलना में 114 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई।
बढ़ती हिस्सेदारी: कुल आयात में अमेरिका का हिस्सा 8% तक पहुंचा
2025-26 की पहली तिमाही में भारत का अमेरिका से तेल आयात 3.7 बिलियन डॉलर रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 1.73 बिलियन डॉलर था। जुलाई 2025 में अमेरिका से भारत का कच्चा तेल आयात जून की तुलना में 23% अधिक रहा। भारत के कुल कच्चे तेल आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी अब 8% तक पहुंच गई है, जो पहले केवल 3% थी। सूत्रों का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में यह आयात 150% तक बढ़ सकता है।
गैस आयात में भी उछाल, अरबों डॉलर के सौदे की तैयारी
केवल तेल ही नहीं, भारत ने अमेरिका से एलपीजी (Liquefied Petroleum Gas) और एलएनजी (Liquefied Natural Gas) का आयात भी तेज़ी से बढ़ाया है। एलएनजी आयात 2024-25 में 1.41 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2025-26 में 2.46 बिलियन डॉलर हो गया। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक बड़ा एलएनजी समझौता भी बातचीत में है, जिसकी लागत अरबों डॉलर में हो सकती है।
रणनीतिक साझेदारी में ऊर्जा बना अहम स्तंभ
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। दोनों देश साझा हितों और लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर ऊर्जा क्षेत्र में घनिष्ठ सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा व्यापार अब दोनों देशों के रिश्तों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, और इससे स्पष्ट है कि भारत अमेरिका के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में अग्रसर है।