आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरते समय हर टैक्सपेयर को अपनी पूरी आय की जानकारी देनी होती है, चाहे वह कर योग्य हो या छूट प्राप्त। इससे आयकर विभाग के पास करदाता की पूरी आय का रिकॉर्ड पहुंच जाता है और आगे किसी विवाद की स्थिति से बचा जा सकता है।
इनकम टैक्स कानून में 50 से अधिक ऐसी श्रेणियां हैं, जिन पर कर छूट का प्रावधान है। उदाहरण के तौर पर, कृषि आय पर धारा 10(1), कर-मुक्त बॉन्ड से प्राप्त ब्याज पर धारा 10(15), रिश्तेदारों से मिले उपहार पर धारा 56(2) और बचत खाते से 10,000 रुपये तक के ब्याज पर धारा 80टीटीए के तहत छूट मिलती है। हालांकि इन सभी छूटों की अलग-अलग शर्तें और सीमाएं तय हैं। जैसे कि गैर-रिश्तेदार से 50,000 रुपये से अधिक का उपहार कर योग्य माना जाएगा।
जानकारी छिपाने पर हो सकती है कार्रवाई
यदि कोई करदाता छूट वाली आय का खुलासा नहीं करता है तो विभाग डेटा मिलान के दौरान गड़बड़ी मिलने पर नोटिस जारी कर सकता है। कई बार बाद में छूट का कुछ हिस्सा कर योग्य पाए जाने पर ब्याज या जुर्माना भी लग सकता है। हालांकि, अनजाने में छूट संबंधी जानकारी न देने पर तत्काल जुर्माना नहीं होता, लेकिन जानबूझकर जानकारी छिपाने पर कार्रवाई तय है।
गलत जानकारी पर जुर्माना भी संभव
यदि छूट संबंधी जानकारी गलत दी जाती है तो उसे कुल कर योग्य आय में जोड़ दिया जाएगा। नतीजतन टैक्स का बोझ बढ़ जाएगा और धारा 270ए के तहत जुर्माना भी लगाया जा सकता है।