कानपुर। शहर के प्रतिष्ठित आध्यात्मिक संत और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आध्यात्मिक गुरु संतोष द्विवेदी ‘हरिहर दास महाराज’ का शनिवार रात निधन हो गया। बताया गया कि रात करीब आठ बजे अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें 7 एयर फोर्स हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनका देहांत हो गया।
उनके निधन की सूचना मिलते ही श्यामनगर स्थित आवास पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय लोग एकत्रित हो गए। पार्षद नीलम उमेश शुक्ला, पुलिसकर्मी और अन्य गणमान्य लोग मौके पर पहुंचे। कुलपति विनय कुमार पाठक भी महाराज जी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे, जहां वे भावुक नजर आए।
गुरुपूर्णिमा पर दिए थे संकेत
पार्षद के अनुसार, गुरुजी ने गुरुपूर्णिमा पर अपने शिष्यों को संकेतात्मक शब्दों में कहा था कि “यहां कोई स्थायी नहीं है, सभी को हरिनाम का जाप करते रहना चाहिए।” उनके इन शब्दों को अब भक्त उनकी विदाई का संकेत मान रहे हैं। गुरुजी की पत्नी का निधन पूर्व में 2021 में हो गया था।
श्रद्धांजलि में जुटे भक्त, पूरा दिन गूंजा हरिनाम
गुरुजी के भक्त दूर-दराज से पहुंचते रहे और आवास के बाहर ‘हरे राम हरे कृष्ण’ का जाप लगातार चलता रहा। महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु आंखों में आंसू लिए घंटों वहीं बैठे रहे। जैसे-जैसे खबर फैली, श्याम नगर में लोगों की भीड़ बढ़ती गई। देर रात तक आश्रम के बाहर कारों और बाइकों से श्रद्धालुओं का आना जारी रहा।
भीड़ नियंत्रण को तैनात हुई फोर्स, सड़क पर बैरिकेडिंग
लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया। एसीपी चकेरी अभिषेक पांडे ने मौके पर फोर्स भेजी और स्वयं भी देर रात पहुंचे। क्षेत्र में बैरिकेडिंग लगाकर यातायात को नियंत्रित किया गया।
बैकुंठपुर में हो सकता है अंतिम संस्कार
गुरुजी के शिष्यों के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार रविवार को बिठूर के बैकुंठपुर घाट पर होने की संभावना है, हालांकि समय तय नहीं हुआ था। वहीं, यह चर्चा भी है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह स्वयं गुरुजी को श्रद्धांजलि देने कानपुर आ सकते हैं।
गुरुजी की भविष्यवाणियां और समर्पण
गुरुजी के शिष्य बताते हैं कि वे कई बार भविष्यवाणी कर चुके थे, जिनमें से कुछ बिल्कुल सत्य साबित हुईं। एक घटना के अनुसार, उन्होंने एक महिला को उसकी मृत्यु की तिथि पहले ही बता दी थी, जो उसी दिन सच हो गई। गुरुजी अक्सर भक्तों से कहते थे कि “जो भगवान के भजन में रुचि नहीं रखता, वह मेरे पास न भटके।”
परिवारजन और उपचार की जानकारी
गुरुजी की दो बेटियां—अंजू मिश्रा और संगीता मिश्रा—लगातार उनकी सेवा में लगी रहती थीं। दामाद जी.के. मिश्रा स्वयं चिकित्सक हैं और गुरुजी का इलाज लखनऊ से लेकर अन्य प्रदेशों में भी कराते रहे।