महाराष्ट्र विधानसभा भवन में हाल ही में हुई मारपीट की घटनाओं पर शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में जो गुंडागर्दी हो रही है, वह राज्य की साख को गहरा नुकसान पहुंचा रही है। ठाकरे ने चेतावनी दी कि मौजूदा हालात ऐसे हैं, जैसे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत पड़ जाए।
कुछ दिन पहले विधानसभा परिसर में एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक जितेंद्र आव्हाड और बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि मामला हाथापाई तक पहुंच गया। इससे पहले, भाजपा के ही एक अन्य विधायक संजय गायकवाड़ पर कैंटीन में एक व्यक्ति की पिटाई का आरोप लग चुका है।
इन घटनाओं को लेकर ठाकरे ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “विधानसभा जैसी गरिमामयी जगह में खुलेआम गुंडई हो रही है। यह बेहद शर्मनाक है और लोकतंत्र को सीधे चुनौती देने वाली स्थिति है। यदि निर्वाचित प्रतिनिधि ही मारपीट पर उतर आएं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा?”
पहली बार ऐसी स्थिति देखी जा रही है: उद्धव
उद्धव ठाकरे ने कहा कि इतिहास में शायद पहली बार विधानसभा परिसर जैसी गंभीर जगह में ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की अराजकता अगर समय रहते नहीं रोकी गई, तो राज्य की लोकतांत्रिक छवि को गहरा धक्का लग सकता है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि ऐसे असामाजिक तत्वों को जनप्रतिनिधि पद से हटाने के लिए मिलकर प्रयास किया जाना चाहिए।
मराठी मुद्दे पर राज ठाकरे से एकजुटता
राजनीतिक समीकरणों पर बात करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि मराठी अस्मिता के मसले पर वह और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पहली बार एक मंच पर आए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी एक भाषा को दूसरों पर थोपे जाने का विरोध जरूर करते रहेंगे।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि फिलहाल कोई चुनाव नहीं घोषित हुआ है और जब चुनाव की घोषणा होगी, तब गठबंधन को लेकर आगे की चर्चा होगी। हालांकि उन्होंने दोहराया कि मराठी भाषा और संस्कृति को लेकर उनकी प्राथमिकताएं साफ और अडिग हैं।
शिंदे-फडणवीस सरकार पर निशाना
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए ठाकरे ने कहा कि मौजूदा सरकार न तो सदन की गरिमा बनाए रखने में सक्षम है और न ही विधायकों को अनुशासन में रखने में। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सत्ता संरक्षण में ही हिंसा हो रही हो, तो आम जनता खुद को कैसे सुरक्षित महसूस कर सकती है?
ठाकरे की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब विधानसभा का मानसून सत्र जारी है और विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने में लगा है।