पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोलकाता में तीन नए मेट्रो रूट्स के उद्घाटन समारोह से दूरी बनाई। तृणमूल कांग्रेस ने उनके इस कार्यक्रम में शामिल न होने की वजह बीजेपी शासित राज्यों में बंगाल के प्रवासियों के साथ कथित दुर्व्यवहार को बताया। इसी बीच ममता बनर्जी ने दावा किया कि जिन प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन हुआ है, उनकी योजना और स्वीकृति उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए ही दी थी।
रेल मंत्री रहते दी थी मंजूरी
ममता बनर्जी 1999 से 2001 तक एनडीए सरकार में और 2009 से 2011 तक यूपीए-2 सरकार में रेल मंत्री रहीं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान उन्होंने कोलकाता मेट्रो के विस्तार से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी। उनके अनुसार, “उस समय मैंने ब्लूप्रिंट तैयार कराया, धन की व्यवस्था की, काम शुरू कराया और यह भी सुनिश्चित किया कि जोका, गरिया, एयरपोर्ट और सेक्टर V जैसे क्षेत्रों को इंट्रा-सिटी मेट्रो ग्रिड से जोड़ा जाए।”

मुख्यमंत्री रहते निभाई अहम भूमिका
ममता ने आगे लिखा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने राज्य की ओर से जमीन उपलब्ध कराई, सड़कें बनवाईं, विस्थापित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की और परियोजनाओं में आने वाली रुकावटें दूर कीं। उन्होंने कहा, “हमारे मुख्य सचिवों ने एजेंसियों के बीच लगातार समन्वय बैठकों का आयोजन किया। रेल मंत्री के रूप में बनाई गई योजना को मुख्यमंत्री के तौर पर लागू करने में मुझे विशेष संतोष मिला। कोलकाता मेट्रो का विस्तार मेरे लिए एक लंबी यात्रा की तरह रहा है।”
कोलकाता के परिवहन को मिलेगी नई दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के बाद शुक्रवार शाम कोलकाता पहुंचकर तीन मेट्रो रूट्स समेत 5,200 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शुभारंभ किया। ग्रीन, येलो और ऑरेंज लाइनों में फैला 13.61 किलोमीटर लंबा नया नेटवर्क 1984 में शुरू हुई मेट्रो यात्रा का अहम पड़ाव माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इन रूट्स से शहर की सड़कों पर जाम और भीड़भाड़ कम होगी और लाखों यात्रियों के दैनिक आवागमन में बड़ा बदलाव आएगा।