बांग्लादेशी नेता महफूज आलम के पोस्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने इस मुद्दे पर बांग्लादेश पक्ष के समक्ष अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया है। हम समझते हैं कि जिस पोस्ट का उल्लेख किया जा रहा है, उसे कथित तौर पर हटा दिया गया है।
सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति रहें सचेत- विदेश मंत्रालय
उन्होंने आगे कहा कि, हम सभी संबंधित पक्षों को याद दिलाना चाहेंगे कि वे अपनी सार्वजनिक टिप्पणियों के प्रति सचेत रहें। जबकि भारत ने बार-बार बांग्लादेश के लोगों और अंतरिम सरकार के साथ संबंधों को बढ़ावा देने में रुचि दिखाई है, ऐसी टिप्पणियां सार्वजनिक अभिव्यक्ति में जिम्मेदारी की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं।
गुरपतवंत सिंह की धमकी पर विदेश मंत्रालय गंभीर
वहीं अमेरिका में भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा के खिलाफ सिख अलगाववादी गुरपतवंत सिंह की तरफ से दी गई धमकियों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम इन धमकियों को बहुत गंभीरता से लेते हैं और हम इसे अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाते हैं। इस मामले में भी हमने इसे अमेरिकी सरकार के समक्ष उठाया है और हमें उम्मीद है कि अमेरिकी सरकार हमारी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से लेगी।
लीबिया में फंसे भारतीय कामगारों को निकालने के प्रयास जारी
उधर लीबिया में सीमेंट फैक्ट्री में फंसे भारतीय कामगारों के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘ये भारतीय कामगार दुबई के रास्ते बेनगाजी पहुंचे थे। वे बिना उचित दस्तावेजों के वहां गए थे और जब वे वहां पहुंचे तो उनके काम को लेकर कुछ समस्याएं थीं। हमारा दूतावास सक्रिय है और हमने अपने समुदाय के सदस्यों के माध्यम से कामगारों तक पहुंचकर उनकी मदद की है। हमने उनके भोजन, दैनिक जीवन की वस्तुओं की व्यवस्था की है…चूंकि वे बिना उचित दस्तावेजों के लीबिया गए थे, इसलिए देश से बाहर निकलने के लिए अब उन्हें एक्जिट परमिट की आवश्यकता है…दूतावास उनके एक्जिट परमिट की व्यवस्था करने के लिए लीबियाई अधिकारियों के संपर्क में है।
म्यांमार पर हमारा रुख एक जैसा ही है- विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, म्यांमार पर हमारा रुख एक जैसा ही रहा है। हम हिंसा की समाप्ति और वास्तविक संघीय लोकतंत्र की स्थापना के माध्यम से जातीय मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान करते हैं। स्थिरता की वापसी की यह प्रक्रिया म्यांमार के नेतृत्व में और म्यांमार के स्वामित्व में होनी चाहिए और म्यांमार में समावेशी शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखना चाहिए। म्यांमार के भूमि सीमावर्ती पड़ोसियों की भी कुछ विशेष चिंताएं हैं।’