उत्तराखंड में इस वर्ष अतिवृष्टि और बादल फटने से अब तक लगभग पाँच हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया है। उत्तरकाशी, पौड़ी, चमोली और रुद्रप्रयाग समेत कई जिलों में सड़कों, पुलों, सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को भारी क्षति पहुँची है। जिला प्रशासन स्तर पर आपदा से हुए वास्तविक नुकसान का आकलन जारी है और रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
पर्वतीय राज्य होने के कारण उत्तराखंड हर साल मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है। वर्ष 2013 में केदारनाथ त्रासदी के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक झटका माना जा रहा है। तबाही का असर अभी और बढ़ सकता है क्योंकि बरसात का मौसम जारी है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह राशि विकास कार्यों में लगाई जाती तो प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज, स्कूल भवन और सड़कें तैयार हो सकती थीं। लेकिन राज्य को हर साल आपदाओं से भारी आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है।