मुंबई। 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के सभी 12 आरोपितों को बरी किए जाने के बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय पर महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) फिलहाल विशेष लोक अभियोजक से परामर्श कर रहा है। जांच एजेंसी ने कहा कि वह अदालत के फैसले का पूर्ण विश्लेषण करने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला एटीएस के लिए झटका माना जा रहा है, जिसने जांच के दौरान दावा किया था कि सभी आरोपी प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े थे और उन्होंने लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तानी आतंकियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रची थी।
2015 में सुनाई गई थी सजा, अब सभी बरी
एटीएस के अनुसार, विशेष मकोका अदालत ने 30 सितंबर 2015 को इस मामले में पांच आरोपियों को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि एक व्यक्ति को बरी कर दिया गया था।
हाई कोर्ट में चली विस्तृत सुनवाई
इस फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल राजा ठाकरे और विशेष लोक अभियोजक चिमलकर ने राज्य सरकार की ओर से मृत्युदंड और उम्रकैद की सजा की पुष्टि की मांग करते हुए कोर्ट में दलीलें पेश की थीं। यह सुनवाई जुलाई 2024 से 27 जनवरी 2025 तक चली, जिसके दौरान अभियोजन और बचाव पक्ष ने विस्तार से अपने पक्ष रखे।
अब हाई कोर्ट द्वारा सभी आरोपियों को दोषमुक्त किए जाने के बाद एटीएस उच्च स्तर पर कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।