शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बुधवार को उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले एनडीए को अपने संख्याबल पर भरोसा नहीं है, तभी वे विपक्षी दलों से समर्थन की गुहार लगा रहे हैं। राउत ने सवाल किया – “जब आपके पास बहुमत है तो विपक्ष के दरवाजे खटखटाने की जरूरत क्यों?”
दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में राउत ने बताया कि विपक्षी गठबंधन के पास भी मजबूत संख्याबल है। विपक्ष ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा की ओर से पूर्व राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारा गया है। राउत का कहना है कि भाजपा नेताओं ने कई विपक्षी दलों से आधिकारिक तौर पर संपर्क किया और वोट मांगे।
“अगर बहुमत है तो संपर्क क्यों?”
राउत ने दोहराया कि अगर एनडीए को सचमुच संसद में बहुमत पर भरोसा है, तो उन्हें विपक्षी नेताओं से संपर्क करने की नौबत क्यों आई। उनके मुताबिक, यह इस बात का सबूत है कि एनडीए की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है, जितनी दिखाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष एक बार फिर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने में असफल रहा है और चुनाव से पहले ही विपक्ष से सहयोग मांग रहा है।
भाजपा उम्मीदवार राधाकृष्णन पर सवाल
राउत ने भाजपा उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि झारखंड के राज्यपाल रहते हुए हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा राजभवन से गिरफ्तार किया गया, जो संवैधानिक परंपराओं के खिलाफ था। राउत ने आरोप लगाया कि उस समय राधाकृष्णन ने अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं निभाई और ईडी की कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई।
“हमारी लड़ाई लोकतंत्र बचाने की है”
राज्यसभा सांसद राउत ने कहा कि विपक्ष की जंग केवल उपराष्ट्रपति पद के लिए नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्ष तानाशाही प्रवृत्ति और उसे संरक्षण देने वाली ताकतों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है।
उपराष्ट्रपति चुनाव 9 सितंबर को होना है और इसे लेकर राजनीतिक माहौल गर्माता जा रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने में लगे हैं।