केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को नियंत्रित करने और ई-स्पोर्ट्स व सोशल गेम्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक’ पेश किया, जिसे लोकसभा में मंजूरी मिल गई है। इस कानून के तहत आम खिलाड़ियों पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी, बल्कि दंड का प्रावधान केवल उन कंपनियों, विज्ञापनदाताओं, प्रमोटरों और वित्तीय सहयोगियों के लिए है जो ऑनलाइन मनी गेम्स को बढ़ावा देते हैं।
सरकार का कहना है कि इस कदम का मकसद ऑनलाइन मनी गेम्स की पेशकश, संचालन और उनसे जुड़े वित्तीय लेन-देन पर पूरी तरह रोक लगाना है। वहीं, ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेम्स को कानूनी मान्यता और प्रोत्साहन दिया जाएगा। युवा मामले और खेल मंत्रालय इसके लिए एक ढांचा तैयार करेगा।
ऑनलाइन मनी गेमिंग से गंभीर खतरे
सूत्रों के अनुसार, ऑनलाइन मनी गेमिंग से जुड़े मामलों ने समाज में कई गंभीर समस्याएं खड़ी की हैं। नशे की तरह इसकी लत, आर्थिक नुकसान, धोखाधड़ी, आत्महत्याएं और पारिवारिक विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। सरकार का मानना है कि इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कठोर कदम जरूरी हैं।
कितनी सजा का प्रावधान?
कानून लागू होने के बाद नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा तय की गई है।
- ऑनलाइन मनी गेम्स की पेशकश या सुविधा देने पर 3 साल तक की कैद और/या 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना।
- ऐसे गेम्स का विज्ञापन करने पर 2 साल तक की कैद और/या 50 लाख रुपये जुर्माना।
- वित्तीय लेन-देन करने वालों पर 3 साल तक की कैद और/या 1 करोड़ रुपये जुर्माना।
बार-बार अपराध करने पर 3 से 5 साल तक की सजा और 2 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। यह अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे। साथ ही, केंद्र सरकार द्वारा नामित अधिकारी डिजिटल या अन्य संपत्तियों की जांच, तलाशी और जब्ती कर सकेंगे। उन्हें संदिग्ध मामलों में बिना वारंट के प्रवेश, तलाशी और गिरफ्तारी का भी अधिकार मिलेगा।