जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन टैक्स ढांचे की जटिलताओं और अलग-अलग स्लैब को लेकर भ्रम अब भी बना हुआ है। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा की। सरकार मौजूदा चार स्लैब — 5%, 12%, 18% और 28% — को घटाकर केवल दो दरों में समेटने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित नए ढांचे में 5% और 18% की दरें शामिल होंगी। माना जा रहा है कि इस कदम से जहां आम जनता को आवश्यक वस्तुएं सस्ती मिल सकेंगी, वहीं कारोबारियों के लिए कर व्यवस्था और सरल हो जाएगी। टैक्स प्रणाली में जटिलताएं घटने से व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
इसी को ध्यान में रखते हुए जीएसटी काउंसिल 3-4 सितंबर को बड़ी बैठक कर रही है. इस बार खासतौर पर खाने-पीने की चीज़ों और कपड़ों (टेक्सटाइल) पर टैक्स को एकसमान 5% करने पर चर्चा होगी. अगर ये फैसला होता है, तो टैक्स को लेकर होने वाली उलझन खत्म हो जाएगी और आम आदमी को सीधे फायदा मिलेगा.
जरूरी चीज़ों पर एक जैसा टैक्स
खाद्य पदार्थ और कपड़े हमारे रोजमर्रा के जरूरी सामान हैं. अभी इनपर अलग-अलग टैक्स स्लैब लागू हैं, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को परेशानी होती है. द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अब जीएसटी काउंसिल इन्हें एकसमान 5% टैक्स पर लाने पर विचार कर रही है. इससे उपभोक्ता को सामान सस्ता मिलेगा और व्यापार करने वालों के लिए भी टैक्स सिस्टम आसान होगा.
अब सीमेंट पर लगेगा 18% का टैक्स
एक और बड़ा बदलाव हो सकता है सीमेंट पर टैक्स को लेकर. अभी सीमेंट पर 28% टैक्स लगता है, जो बहुत ज्यादा माना जाता है क्योंकि सीमेंट घर, सड़क और दूसरे निर्माण कामों की सबसे जरूरी चीज़ है. काउंसिल इसे घटाकर 18% करने का प्रस्ताव लेकर आ रही है. इससे निर्माण सामग्री की कीमतें कम होंगी, और घर बनाने या मरम्मत करने वाले लोगों की जेब पर असर पड़ेगा. हालांकि, सरकार चाहती है कि यह टैक्स कटौती सीधे कंज्यूमर्स तक पहुंचे, न कि केवल मैन्युफैक्चरर्स के मुनाफे में जाए.
सैलून, ब्यूटी पार्लर और बीमा पर भी कम होगा टैक्स
खाद्य और निर्माण सामानों के साथ-साथ कुछ सेवाओं पर भी टैक्स घटाने की तैयारी है. जैसे कि मिड से लेकर हाई-एंड सैलून और ब्यूटी पार्लर पर लगने वाला 18% टैक्स घटाकर 5% करने की बात चल रही है. इससे ये सेवाएं आम लोगों के लिए सस्ती हो जाएंगी और लोग ज्यादा इस्तेमाल कर पाएंगे. इसी तरह, व्यक्तिगत जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर भी जीएसटी खत्म करने की योजना है. इसका मकसद है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बीमा लें और उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़े.
टैक्स स्लैब को सरल बनाने का प्लान
अभी जीएसटी के तहत 4 टैक्स स्लैब हैं, जो अक्सर कन्फ्यूजन पैदा करते हैं. काउंसिल इसे केवल 2 स्लैब में लाने पर विचार कर रही है 5%, 18% . 5% स्लैब में ज्यादातर रोजमर्रा के सामान और सेवाएं आएंगी, 18% में थोड़ी महंगी वस्तुएं और सेवाएं, इसके साथ ही केंद्र सरकार ने अत्यंत विलासिता वाली वस्तुओं और सिन गुड्स (जैसे शराब, सिगरेट, लक्ज़री कारें आदि) पर 40% जीएसटी लगाने का प्लान बनाया है. हालांकि कुछ राज्यों ने 40% की सीमा बढ़ाने को कहा है, लेकिन सरकार ने इसे फिलहाल नकार दिया है ताकि टैक्स सिस्टम आसान और समझने में सरल रहे.
आम आदमी को मिलने वाली है बड़ी राहत
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार 22 सितंबर से नया जीएसटी स्लैब लागू करने की तैयारी कर रही है. यह तारीख नवरात्रि के त्यौहारों (22 सितंबर से 2 अक्टूबर) के साथ भी मेल खाती है, जिससे त्योहारी खरीदारी के दौरान ग्राहकों को खास फायदा मिलने की उम्मीद है. इस प्रस्ताव के पास होने के बाद आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों पर बड़ा फर्क पड़ेगा. खाने-पीने की चीजें, कपड़े, घर बनाने का सामान और जरूरी सेवाएं जैसे सैलून अब सस्ते हो जाएंगे. साथ ही, स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर टैक्स खत्म होने से लोग बीमा लेना ज्यादा पसंद करेंगे, जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा भी बेहतर होगी.