लोकसभा चुनाव करीब आते ही विपक्ष को एकजुट करने की कवायद तेज हो गई है. बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार ने खुद इसकी कमान अपने हाथों में ले ली है. यही वजह है कि वे लगातार विपक्ष के सभी बड़े नेताओं से मुलाकात करने के लिए पहुंच रहे हैं. हालांकि, सोमवार को नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है वो सिर्फ विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. वो पीएम फेस नहीं बनेंगे. नीतीश का कहना था कि मैं एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि मुझको चेहरा (विपक्ष का पीएम फेस) नहीं बनना है. सिर्फ मिलकर काम करेंगे.
बता दें कि सोमवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ कोलकाता पहुंचे और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की. उसके बाद दोनों नेता लखनऊ पहुंचे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से बातचीत की है. इस बातचीत के बाद नीतीश और अखिलेश यादव ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता पर बात की.
‘देश को बीजेपी से मुक्ति दिलाना है’
नीतीश ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिए सब लोग ज्यादा से ज्यादा पार्टियों की राय एक हो जाए, इसी काम में लगे हैं. जिस तरह से शासन हो रहा है, उसमें कोई काम नहीं हो रहा है. सिर्फ प्रचार-प्रसार हो रहा है. ऐसी स्थिति में अधिक से अधिक पार्टियों के साथ बातचीत चल रही है. उसी सिलसिले में आज हम लोगों ने बैठकर बात की है. हम लोगों ने तय किया है कि ज्यादा से ज्यादा पार्टियों को देश में एकजुट करें. मिलकर काम करेंगे ताकि यह देश आगे बढ़े और देश को बीजेपी से मुक्ति मिले.
‘मिलकर लड़ेंगे तो बहुत फायदा होगा’
नीतीश ने कहा- लोग (BJP) देश के इतिहास को बदलने के चक्कर में हैं. इसलिए सबको जानना चाहिए. खाली प्रचार हो रहा है. चुनाव में अगर एक साथ मिलकर लड़ेंगे तो बहुत फायदा होगा और देशहित में होगा. अभी यह बात हो गई है कि मिलकर काम करेंगे.
‘यूपी और बिहार का पुराना रिश्ता’
नीतीश ने यूपी और बिहार के रिश्ते को जोड़ा. उन्होंने कहा कि समाजवादियों से पुराना रिश्ता है. पूरे देश के अन्य जगहों के हित में भी एकजुट होंगे. आज अच्छी बात हुई है. नेता तय होने के सवाल पर कहा- एकजुट हो जाएंगे तो नेता बनेंगे और काम करेंगे.
‘अपने लिए हमें कुछ नहीं चाहिए’
खुद को विपक्ष की तरफ से पीएम फेस बनने के सवाल पर नीतीश ने स्पष्ट किया. उन्होंने कहा- एक चीज हम अपने बारे में बता देते हैं, हमको नेता नहीं बनना है. ये अच्छी तरह जान लीजिए. हम सिर्फ सबको एकजुट करने में लगे हैं. अपने लिए हमें कुछ नहीं चाहिए. हम सिर्फ देशहित काम करेंगे. बाकी सब लोग होंगे और बैठकर तय करेंगे. 75 की तरह आप भी जेपी बाबू होंगे? इस सवाल पर नीतीश मुस्कुराए और कहा- नहीं. हम लोग तो उनके शिष्य हैं. हम लोगों ने उनके नेतृत्व में ही आंदोलन किया है. लालू और हमने साथ में नेतृत्व किया. तब हम स्टूडेंट थे.
‘हम उम्मीद से ज्यादा सीटें जीतेंगे’
यूपी, बिहार की सीटों पर एकजुट होने की स्थिति में परिणाम को लेकर सवाल किए जाने पर नीतीश ने कहा- रिजल्ट बहुत अच्छा रहेगा. हम लोग मिलकर लड़ेंगे तो देख लीजिए. जो लोग समझ रहे हैं और राज करने के लिए लोगों को परेशान करते हैं, उनका कुछ नहीं होने वाला है. आप यूपी, बिहार की जितना सोच रहे हैं, उसका अधिकतम हमारे पक्ष में ही आएगा. मायावती से मुलाकात होने के सवाल पर कहा- अभी तो हम इनसे मिलने आए हैं.
बीजेपी को हटाने के लिए साथ खड़े हैं: अखिलेश
अखिलेश ने कहा लोकतंत्र और संविधान पर संकट है. बीजेपी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से किसान, गरीब, मजदूर परेशान है. महंगाई और बेरोजगारी चरमसीमा पर है. बीजेपी को हटाने के लिए हम साथ खड़े हैं. बीजेपी हटे, देश बचे, उस अभियान में हम लोग आपके साथ हैं.
विपक्षी एकता की कवायद में जुटे हैं नीतीश कुमार
बता दें कि लोकसभा चुनाव में अब करीब एक साल का समय बचा है लेकिन 2024 की चुनावी जंग के लिए सियासी बिसात अभी से बिछने लगी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को चुनावी शिकस्त देने के लिए विपक्षी एकजुटता की बात चल रही है. इसे लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक्टिव नजर आ रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ दिल्ली पहुंचकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मुलाकात की थी.
‘आगे देशहित में काम किया जाएगा’
नीतीश कुमार 24 अप्रैल को फिर से तेजस्वी यादव के साथ यात्रा पर निकले. नीतीश और तेजस्वी ने कोलकाता स्थित राज्य सचिवालय में सीएम ममता बनर्जी से बातचीत की. बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीतीश कुमार ने कहा कि हमने बातचीत की है, खासकर सभी दलों के एक साथ आने और आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सभी तैयारियां करने के बारे में. आगे जो भी होगा, देशहित में किया जाएगा. जो लोग (BJP) अभी शासन कर रहे हैं, ये सिर्फ अपना प्रचार कर रहे हैं. देश के विकास के लिए कुछ नहीं किया जा रहा.
हम साथ-साथ आगे बढ़ेंगे: ममता
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी जेपी आंदोलन की भूमि बिहार में विपक्ष की बैठक का आह्वान करते हुए विपक्षी एकता की वकालत की. उन्होंने कहा कि हम साथ-साथ आगे बढ़ेंगे. हमारा कोई व्यक्तिगत अहंकार नहीं है, हम सामूहिक रूप से मिलकर काम करना चाहते हैं. मैंने नीतीश कुमार से बस एक ही निवेदन किया है. ममता ने कहा कि जयप्रकाश (नारायण) जी का आंदोलन बिहार से शुरू हुआ.
‘मैं चाहती हूं बीजेपी जीरो हो जाए’
ममता ने कहा कि अगर बिहार में सर्वदलीय बैठक होती है तो हम तय कर सकते हैं कि आगे कहां जाना है. लेकिन सबसे पहले हमें यह बताना होगा कि हम एक हैं. मैंने पहले भी कहा है कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है. मैं चाहती हूं कि बीजेपी जीरो हो जाए. वे मीडिया के समर्थन और झूठ की वजह से बड़े हीरो बन गए हैं.
लोकसभा चुनाव में 162 सीटें साधने की तैयारी?
दरअसल, नीतीश, तेजस्वी, ममता और अखिलेश की मुलाकात 2024 लोकसभा चुनाव के लिहाज से इसलिए भी अहम है क्योंकि केंद्र में सरकार गठन के लिहाज से ये तीनों राज्य (बिहार, यूपी और बंगाल) बहुत अहम हैं. यूपी से लोकसभा की 80 सीटें, बिहार से 40 और बंगाल से 42 सीटें आती हैं यानी इन तीन नेताओं की 545 सदस्यों वाली लोकसभा की 162 सीटों के लिए चुनाव में अहम भूमिका होगी.
क्या है नीतीश का प्लान
नीतीश कुमार की इन मुलाकातों के सियासी निहितार्थ तलाशे जाने लगे हैं. इसके पीछे प्रमुख कारण है नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता की कवायद, उनके यूपी से चुनाव लड़ने की चर्चा और लोकसभा चुनाव को लेकर सपा का स्टैंड. नीतीश कुमार पहले ही ये साफ कर चुके हैं कि 2024 के चुनाव को लेकर विपक्षी एकजुटता के पीछे उनकी अपनी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है.
दूसरी तरफ, नीतीश कुमार के यूपी से लोकसभा चुनाव लड़ने की भी चर्चा है. ऐसे में ये भी माना जा रहा है कि नीतीश कुमार, अखिलेश यादव के साथ अपनी मुलाकात के दौरान इस विषय पर भी बात कर सकते हैं. तीसरा है लोकसभा चुनाव को लेकर सपा का स्टैंड. सपा ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह यूपी में अपने दम पर, अपने गठबंधन के साथ लोकसभा चुनाव लड़ेगी.
सपा की ओर से ये भी कहा गया था कि अब ये कांग्रेस को तय करना है कि बीजेपी को हराने के लिए वह क्या करेगी. ऐसे में नीतीश कुमार की ये मुलाकात सपा को अन्य विपक्षी दलों के साथ एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए अखिलेश यादव को राजी करने की कोशिश के तहत हो. गौरतलब है कि यूपी में सपा का अभी जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ गठबंधन है.
विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम चला रहे ये नेता भी
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही कुछ और नेता भी विपक्षी दलों को एक ही छतरी के नीचे लाने की कोशिश में जुटे हैं. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी 2024 के चुनाव से पहले विपक्षी एकजुटता की वकालत कर चुके हैं. तेलंगाना के सीएम केसीआर की पार्टी की ओर से हैदराबाद में आयोजित कार्यक्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने शिरकत भी की थी.
विपक्ष 2024 में अपनाएगा 2004 का फॉर्मूला?
साल 2024 की चुनावी लड़ाई का मैदान सजने में अभी एक साल का समय शेष बचा है. लेकिन अभी से ही चुनावी बिसात पर सत्ताधारी बीजेपी के नेतृत्व वाले गठबंधन को मात देने के लिए अपने मोहरे बिछाने शुरू कर दिए हैं. नीतीश कुमार की राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद अब ममता बनर्जी और अखिलेश यादव से मिलने जाने को इसी दिशा में एक और कदम माना जा रहा है. चर्चा ये भी तेज हो गई है कि क्या विपक्षी दल 2024 के आम चुनाव में एनडीए को शिकस्त देने के लिए फिर से 2004 के फॉर्मूले की ओर लौटेंगे?