दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास योजना में अब आधार कार्ड अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि योजना के अंतर्गत तब तक किसी भी लाभार्थी को नकद सहायता नहीं दी जाएगी, जब तक वह अपना आधार नंबर या उसका पंजीकरण प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं करता।
सुविधाओं के लिए जरूरी होगा आधार या आवेदन प्रमाण
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने जानकारी दी कि योजना से मिलने वाले लाभ—जैसे यात्रा भत्ता, आवास-भोजन व्यवस्था और नौकरी के बाद की सहायता—को पाने के लिए आधार नंबर देना अथवा इसके लिए आवेदन करना आवश्यक होगा। यह नियम 2 जुलाई 2024 से प्रभावी हो चुका है।
आधार नहीं होने पर भी नहीं होगा बहिष्कार
हालांकि, जिन पात्र दिव्यांगजनों के पास वर्तमान में आधार उपलब्ध नहीं है, उन्हें योजना से बाहर नहीं किया जाएगा। ऐसे लाभार्थी वैकल्पिक पहचान दस्तावेज़, जैसे—विद्यालय का रिकॉर्ड, जन्म प्रमाणपत्र या संरक्षकता से संबंधित दस्तावेज़ प्रस्तुत कर सकते हैं।
बायोमेट्रिक विफलता पर मिलेंगे विकल्प
यदि आधार प्रमाणीकरण जैविक कारणों से असफल हो जाता है, तो वैकल्पिक तरीकों से पहचान सुनिश्चित की जाएगी। इसमें ओटीपी वेरिफिकेशन, क्यूआर कोड स्कैनिंग या ऑफलाइन ई-केवाईसी जैसे विकल्प शामिल हैं। इस प्रक्रिया को यूआईडीएआई की स्वीकृति प्राप्त है और इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारी को दी गई है।
सुगमता के लिए नामांकन केंद्र खोलने के निर्देश
मंत्रालय ने सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को निर्देश दिए हैं कि वे दिव्यांगजनों के लिए सुलभ स्थानों पर आधार नामांकन केंद्र स्थापित करें या स्वयं रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करें। इस कदम का उद्देश्य आधार पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाना है।
जागरूकता के लिए विशेष अभियान
जनसाधारण को इस बदलाव की जानकारी देने के लिए मंत्रालय एक व्यापक मीडिया अभियान चलाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि आधार न होने की स्थिति में कैसे वैकल्पिक दस्तावेजों से अस्थायी रूप से योजना का लाभ लिया जा सकता है।
क्या है यह योजना?
दिव्यांगजनों को रोजगार के योग्य बनाने के लिए वर्ष 2015 में राष्ट्रीय कौशल विकास कार्य योजना शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान कर आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना SIPDA अधिनियम के तहत संचालित होती है और अब तक लाखों लोग इससे लाभान्वित हो चुके हैं।