नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा श्रद्धा और विधिपूर्वक की जाती है। देवी के नाम से ही स्पष्ट है कि उनका स्वरूप अत्यंत गौरवर्ण है। मां का व्यक्तित्व शांति, सरलता और सौम्यता से परिपूर्ण है। उन्हें शंख, चंद्रमा और कुंद के फूल जैसे उज्ज्वल प्रतीकों से तुलना दी जाती है। देवी महागौरी श्वेत वस्त्रों और आभूषणों से सजी होती हैं, इसलिए इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि देवी महागौरी की आराधना से जीवन की सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं, सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। विशेष रूप से महाअष्टमी के दिन इनकी पूजा करने, व्रत रखने और कथा सुनने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और व्यवसाय तथा करियर में सफलता के मार्ग प्रशस्त होते हैं।
मां महागौरी की पौराणिक कथा
किंवदंती के अनुसार, देवी महागौरी ने राजा हिमालय के घर जन्म लिया था, जिसके कारण उनका नाम पार्वती पड़ा। जब वे आठ वर्ष की हुईं, तब उन्हें अपने पूर्व जन्म की घटनाओं का स्पष्ट ज्ञान हुआ। उन्हें यह ज्ञात हुआ कि वे पूर्व जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी थीं। इस अनुभूति के बाद उन्होंने शिवजी को पुनः पति रूप में प्राप्त करने का संकल्प लिया और कठिन तपस्या आरंभ कर दी।
मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक घोर तपस्या की. वर्षों तक निराहार तथा निर्जला तपस्या करने के कारण उनका शरीर काला पड़ गया. इनकी तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हो गए व उन्होंने इन्हें गंगा जी के पवित्र जल से पवित्र किया जिसके पश्चात् माता महागौरी विद्युत के समान चमक तथा कांति से उज्जवल हो गई। इसके साथ ही वह महागौरी के नाम से विख्यात हुई.
मां महागौरी के मंत्र|Maa Mahagauri Puja Mantra
मां महागौरी की स्तुति
मंत्र: या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ महागौरी का प्रार्थना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
मां महागौरी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
मां महगौरी का स्तोत्र मंत्र
सर्वसंकटहन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
मां महागौरी का कवच मंत्र
ॐकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजम् मां, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी मां नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मां सर्ववदनो॥
मां महागौरी की आरती |Maa Mahagauri Aarti
जय महागौरी जगत की माया।
जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे।
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता।
कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥