गठबंधन नहीं दिल्ली के बारे में सोचे विपक्षी दल: केंद्रीय गृह मंत्री शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को लोकसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा करते हुए विपक्षी गुट इंडिया पर कटाक्ष किया और कहा, ‘कांग्रेस को बताना चाहता हूं कि इस विधेयक के पारित होने के बाद वे (आप) आपके साथ कोई गठबंधन नहीं करने जा रहे हैं।” उन्होंने विपक्षी सांसदों से ”गठबंधन के बारे में नहीं, बल्कि दिल्ली के बारे में सोचने” की अपील की। इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन पर हमला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि विपक्षी दलों के एक साथ आने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री चुने जाएंगे।

आप ने क्या कहा था

शाह ने कहा कि मेरा सभी पक्ष से निवेदन है कि चुनाव जीतने के लिए किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना, ऐसी राजनीति नहीं करनी चाहिए। नया गठबंधन बनाने के अनेक प्रकार होते हैं। विधेयक और क़ानून देश की भलाई के लिए लाया जाता है इसलिए इसका विरोध और समर्थन दिल्ली की भलाई के लिए करना चाहिए। गौरतलब है कि पटना में विपक्षी दलों की पहली बैठक के बाद आप ने कहा था कि अगर सबसे पुरानी पार्टी ने केंद्र के फैसले का विरोध नहीं किया तो पार्टी के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल होगा, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने भी कहा था कि अगर कांग्रेस ने अध्यादेश मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया तो वे बेंगलुरु में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक में शामिल नहीं होंगे। अंततः कांग्रेस ने घोषणा की कि वह दिल्ली सरकार का समर्थन करेगी और AAP ने दो दिवसीय बैठक में भाग लिया और इंडिया ब्लॉक में शामिल हो गई। 

लोकसभा में मंगलवार को दिल्ली सेवा विधेयक (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023) पेश किया गया था। इसको लेकर आज चर्चा हुई। लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश को संदर्भित करता है जो कहता है कि संसद को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से संबंधित किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो केंद्र को दिल्ली के लिए कानून बनाने की अनुमति देते हैं। अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश विधेयक, 2023 का समर्थन करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर भीम राव अंबेडकर तक कई प्रमुख नेताओं ने पहले दिल्ली को ‘पूर्ण राज्य’ का दर्जा देने का विरोध किया था।

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