लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश किए। इनमें संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 शामिल हैं। इन प्रस्तावों में यह प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री किसी गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होता है तो उसे पद से हटाया जा सकेगा।
गृह मंत्री ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इससे शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बिल को पहले सेलेक्ट कमेटी और बाद में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है। वहीं, विपक्ष ने इसे सत्ता केंद्रीकरण की कोशिश बताते हुए कड़ा विरोध किया। सदन में नारेबाजी और शोरगुल के चलते माहौल गरमा गया।
ओवैसी का कड़ा विरोध
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इन विधेयकों पर तीखी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह संविधान में दर्ज शक्ति-विभाजन की भावना के खिलाफ है और चुनी हुई सरकारों के अधिकारों को कमजोर करने वाला कदम है। उनका कहना था कि इससे जांच एजेंसियों को बगैर पर्याप्त आधार के कार्रवाई करने की खुली छूट मिल जाएगी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह देश को ‘पुलिस स्टेट’ बनाने की ओर बढ़ रही है। ओवैसी के अनुसार, इन विधेयकों का लागू होना लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने वाला साबित होगा।
विपक्षी दल भी हमलावर
ओवैसी की आपत्तियों के बाद अन्य विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधा। उनका आरोप है कि भाजपा कार्यपालिका को असीमित शक्तियां देकर न्यायपालिका की भूमिका को कमतर करने की कोशिश कर रही है। विपक्ष ने चेतावनी दी कि यह कदम लोकतंत्र को केवल औपचारिकता तक सीमित कर देगा। इन प्रस्तावों को लेकर संसद से बाहर भी राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा बड़े सियासी टकराव का कारण बनेगा।