जन्मदिन पर पीएम मोदी ने लॉन्च की विश्वकर्मा योजना, देश को समर्पित किया ‘यशोभूमि’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने जन्मदिन पर देश के पिछड़े वर्गों को एक और उपहार देने जा रहे हैं। आज वे विश्वकर्मा योजना की शुरुआत करेंगे। केंद्र सरकार का यह दांव विपक्ष के उस सबसे मजबूत चुनावी हथियार का कारगर जवाब हो सकता है जो उसने जातिगत जनगणना के मुद्दे के सहारे चलने की कोशिश की है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया है कि इस योजना से देश की 18 अति पिछड़ी जातियों के 30 लाख लोगों को लाभ मिलेगा। लेकिन अप्रत्यक्ष तरीके से यह योजना अति पिछड़ी जातियों के उन करोड़ों लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हो सकती है जिनके लिए अपना पारंपरिक स्वरोजगार परिवार को चलाने का सबसे बड़ा माध्यम रहा है।

योजना के लक्ष्य में कौन
केंद्र-राज्य सरकार की नौकरियों-शिक्षण संस्थानों में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण हासिल है। लेकिन आरोप यही लगता रहा है कि इस आरक्षण का सबसे ज्यादा लाभ ओबीसी वर्ग की चंद जातियों तक सिमट कर रह गया है। ये जातियां यादव, कुर्मी, पटेल इत्यादि हैं। लेकिन ओबीसी वर्ग में देश में लगभग 2633 जातियां हैं। इनमें बड़ी संख्या में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलता। क्रीमी लेयर व्यवस्था लाकर इन्हीं गरीब वर्गों को आरक्षण का लाभ दिए जाने की योजना बनाई गई थी।

लेकिन केवल सरकारी नौकरियों से पूरे समाज को लाभान्वित नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि इस बड़े वर्ग को स्वरोजगार करने के लिए प्रेरित कर सरकार उन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। चूंकि, यह वर्ग हमेशा से अपने स्वरोजगार के माध्यम से ही चलता रहा है, उसके लिए यह योजना ज्यादा लाभ देने वाली साबित हो सकती है। भाजपा रणनीतिकार मानते हैं कि यह योजना इन वर्गों में बहुत लोकप्रिय हो सकती है। 

यदि सरकार की योजना के अनुसार यह योजना सफल रही तो उसे इसका बड़ा चुनावी लाभ मिल सकता है। एक अनुमान है कि 2633 पिछड़ी जातियों में इस अति पिछड़े वर्ग की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा हो सकती है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में ओबीसी कैटेगरी में भी निम्न या अति पिछड़ा मानी वााली जातियों की हिस्सेदारी लगभग 35 प्रतिशत है। ऐसे में यदि यह योजना कारगर रही तो इस वर्ग का बड़ा समर्थन सरकार के साथ जा सकता है और यह 2024 के चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकता है।    

विपक्ष की योजना की सबसे बड़ी काट कैसे
दरअसल, यह माना जाता है कि विपक्ष ने जातिगत जनगणना के सहारे केंद्र सरकार को 2024 के चुनाव में घेरने की रणनीति बनाई है। चूंकि, इसके पहले भी कई अवसरों पर यह देखा गया है कि जातिगत मुद्दा राष्ट्रीयता और धार्मिक मुद्दों की तुलना में लोगों को ज्यादा आकर्षित करता रहा है और भाजपा इस लड़ाई में विपक्षी दलों से मात खा चुकी है। माना जा रहा है कि जातिगत जनगणना का मुद्दा चला तो भाजपा को परेशानी हो सकती है। 

लेकिन जिस तरह मोदी सरकार ने चुनाव के ठीक पहले विश्वकर्मा कौशल योजना के जरिए अति पिछड़ी जातियों को गोलबंद करने का निर्णय किया है, उससे विपक्ष का यह मुद्दा असरहीन हो सकता है। योजना के अंतर्गत अति पिछड़ी जातियों के लोगों को स्वरोजगार करने के लिए दो लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद केवल पांच प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराई जाएगी। इससे वे अपने लिए मशीनें खरीद कर या नया सेट अप लगाकर अपने रोजगार को एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान कर सकेंगे, या उसका विस्तार कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने इस योजना के लिए 13 हजार करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया था। 

भाजपा का दावा है कि इसका सीधा लाभ 140 अति पिछड़ी जातियों को मिलेगा, वहीं अप्रत्यक्ष तरीके से यह लगभग 2500 से ज्यादा पिछड़ी जातियों को लाभ पहुंचाएगा। ऐसे में यदि इस योजना पर सही तरीके से काम किया गया तो 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी गेम चेंजर साबित हो सकती है। 

निम्न वर्ग के लोगों के उद्धार को समर्पित हैे प्रधानमंत्री का जीवन- भाजपा 
भाजपा नेता सुदेश वर्मा ने अमर उजाला से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी राजनीतिक यात्रा समाज के सबसे कमजोर वर्गों को शक्ति और सामर्थ्य देने वाली रही है। उन्होंने गरीबों, महिलाओं, पिछड़ों और अल्पसंख्यक गरीबों को आगे लाने के लिए लगातार काम किया है। विश्वकर्मा योजना के माध्यम से भी समाज के सबसे पिछड़े-कमजोर लोगों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने के लिए काम किया जा रहा है।

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