प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज डिजिटल माध्यम से आईटीआई के कौशल दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक नया इतिहास रचा गया है। पहली बार ITI के 9 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को कौशल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया है। 40 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स हमारे साथ वर्चुअल माध्यम से भी जुड़े हुए हैं। आप सभी को कौशल दीक्षांत समारोह का बहुत बहुत बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि बीते 8 वर्षों में देश ने भगवान विश्वकर्मा की प्रेरणा से नई योजनाएं शुरू की हैं, ‘श्रम एव जयते’ की अपनी परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए प्रयास किया है। आज देश एक बार फिर स्किल को सम्मान दे रहा है, स्किल डवलपमेंट पर भी उतना ही जोर दे रहा है।
मोदी ने कहा कि विश्वकर्मा जयंती, ये कौशल की प्राण प्रतिष्ठा का पर्व है। जैसे मूर्तिकार कोई मूर्ति बनाता है, लेकिन जब तक उसकी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती, वो मूर्ति भगवान का रूप नहीं कहलाती। उन्होंने कहा कि पहला आईटीआई 1950 में बनाया गया था, और 7 दशकों में लगभग 10,000 आईटीआई बनाए गए थे। पिछले 8 वर्षों में, लगभग 5,000 नए आईटीआई बनाए गए हैं। करीब 4 लाख नई सीटें भी पेश की गई हैं। राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान, भारतीय कौशल संस्थान और हजारों कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं। मोदी ने साफ कहा कि युवा जब स्किल के साथ सशक्त होकर निकलता है, तो उसके मन में ये विचार भी होता है कि कैसे वो अपना काम शुरू करें। स्वरोजगार की इस भावना को सहयोग देने के लिए, आज आपके पास बिना गारंटी लोन दिलाने वाली मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया और स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं की ताकत भी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उद्योग 4.0 के समय में आईटीआई जैसे संस्थानों ने भी भारत की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि अगर बात स्किल की होती है तो आपका मंत्र होना चाहिए- स्किलिंग, री-स्किलिंग और अपस्किलिंग। मोदी ने कहा कि युवाओं में स्किल डेवलपमेंट के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स का होना भी उतना ही जरूरी है। आईटीआई में इस पर जोर दिया जा रहा है। यह सरकार के प्रयासों के कारण ही है कि आज भारत में कौशल में गुणवत्ता और विविधता है।