प्रधानमंत्री ने पार्टी कार्यकर्ताओं को निष्ठा से जनसंपर्क का दिया परामर्श

भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 1998 में केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार दुबारा बनने के बाद लखनऊ में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पार्टी के लगातार आगे बढ़ते रहने के पीछे का कारण बताया था। उन्होंने कहा था कि भाजपा इसलिए आगे नहीं बढ़ रही है क्योंकि उसके नेता सबसे अच्छे हैं और वे सबसे अच्छा भाषण देते हैं। उनका कहना था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है क्योंकि जनता उनके कार्यकर्ताओं पर भरोसा कर रही है। जिस दिन ये भरोसा खत्म हो जाएगा, पार्टी की प्रगति रुक जाएगी, इसलिए कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे जनता के भरोसे पर खरे उतरें।

आज रविवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन सत्र को संबोधित किया तब उन्होंने अपने राजनीतिक गुरू लालकृष्ण आडवाणी की इसी बात को दोहराया। उन्होंने कहा कि यदि भाजपा को पांचों चुनावी राज्यों में अपनी जीत सुनिश्चित करनी है, और भविष्य में लगातार आगे बढ़ते जाना है तो पार्टी कार्यकर्ताओं को लोगों के भरोसे पर खरा उतरना होगा।

उन्होंने कहा कि ज्ञान केवल किताबों में नहीं मिलता है, लोगों के बीच जाने से अनुभव मिलता है। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि वे लोगों के बीच में जाएं, उनसे संपर्क बढ़ाएं, उन्हें केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दें। इससे लोगों को सरकार की योजनाओं की ज्यादा से ज्यादा जानकारी होगी और अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकेंगे।

पार्टी ने इसके लिए केंद्रीय मंत्रियों, राज्य सरकारों के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की भूमिका तय कर दी है। अगले छः महीने में वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर केंद्र सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे।

भाजपा के एक सांसद ने अमर उजाला से कहा कि पार्टी के केंद्रीय नेता सदैव कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ाने की बात करते हैं। उनका कहना होता है कि जनता से कार्यकर्ताओं का जितना ज्यादा से ज्यादा संपर्क बढ़ेगा, कार्यकर्ताओं के कहने पर लोगों के कामकाज होंगे, उससे जनता में कार्यकर्ताओं के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ेगा। भविष्य में यही भरोसा पार्टी के लिए वोट बैंक बनने का काम करता है।

लेकिन यूपी कैसे जीतेंगे
लेकिन आरोप है कि जनता और कार्यकर्ताओं के बीच यह भरोसा लगातार टूट रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, उनके कार्यक्रमों में पार्टी कार्यकर्ताओं की भागीदारी समय के साथ लगातार घटती जा रही है। कार्यक्रम अधिकारियों के भरोसे संपन्न कराए जा रहे हैं। कार्यक्रमों में उनकी कोई भागीदारी न होने से वे जनता की अपेक्षित मदद नहीं कर पा रहे हैं जिससे उनके प्रति लोगों का भरोसा कम हो रहा है।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अयोध्या में दिव्य दीपोत्सव 2021 का भव्य आयोजन किया। इसको लेकर देश ही नहीं, दुनिया भर में खूब जोरशोर से ढिंढोरा पीटा गया। इसे यूपी सरकार के हिंदू जनता के लिए एक विशेष तोहफे के तौर पर भी पेश किया गया। लेकिन यह पूरा कार्यक्रम केवल सरकारी अधिकारियों के भरोसे संपन्न कराया गया। पार्टी का कार्यकर्ता इस आयोजन से पूरी तरह दूर रहा। उसे कार्यक्रम को सफल बनाना में भूमिका देना तो दूर, कार्यक्रम की पूरी योजना तक से बाहर रखा गया।

पूर्वांचल के एक वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ता ने कहा कि सरकार चुनाव में अयोध्या को अपनी राजनीतिक सफलता के तौर पर पेश करना चाहती है। इसका सबसे ज्यादा असर भी पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में ही पड़ने की संभावना है। लेकिन इस कार्यक्रम से कार्यकर्ताओं को ही दूर रखा गया। जो कार्यकर्ता कार्यक्रम के दौरान किसी को एक-दो पास दिलाने तक की हैसियत में नहीं था, वह चुनाव के समय क्या कहकर जनता से समर्थन पाने की उम्मीद कर पाएगा।

पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया कि सरकार को कार्यकर्ताओं से ज्यादा भरोसा अधिकारियों पर है। वह उसी की सलाह पर काम कर रही है। कार्यकर्ताओं के कहने पर सरकार में एक काम तक नहीं हो सकता है। यहां तक कि केंद्र-राज्य की योजनाओं का खाका खींचने में कहीं भी पार्टी कार्यकर्ताओं की भूमिका सुनिश्चित नहीं की गई है। इससे कार्यकर्ताओं की जनता के बीच पैठ कमजोर पड़ रही है। इससे जनता की सरकार से दूरी बढ़ रही है जो चुनाव में पार्टी पर भारी पड़ सकती है।

नहीं काम आई ये शिकायत
पार्टी कार्यकर्ताओं, विशेषकर उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं की अपनी ही सरकार में उपेक्षा के कारण अपनी ही सरकार से नाराजगी की सूचना पार्टी के विभिन्न माध्यमों से केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचा दी गई थी। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चैनल ने भी भाजपा आलाकमान तक इस बात की सूचना पहुंचाई थी कि पार्टी कार्यकर्ताओं में अपनी ही सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। इसके लिए तुरंत कदम उठाए जाने की जरूरत है अन्यथा इसका बड़ा नुकसान हो सकता है। कहा गया था कि केंद्रीय नेतृत्व द्वारा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर आगे बढ़ने की बात कही भी गई थी। उसे झंडा और डंडा उठाने से आगे बढ़कर भूमिका देने की बात कही गई थी जिससे उसके आत्मसम्मान और विश्वास को मजबूत किया जा सके।

नेता के मुताबिक, लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह बेकार साबित हुई है। दिव्य दीपोत्सव कार्यक्रम तो केवल एक उदाहरण है। इस तरह के किसी भी कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं की उपेक्षा लगातार होती रही है। आने वाले चुनाव में कार्यकर्ताओं की यह नाराजगी भाजपा को जबरदस्त सियासी नुकसान पहुंचा सकती है।

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