लोकसभा में प्रियंका गांधी का केंद्र पर हमला, कहा- मारे गए लोग भारतीय थे, सिर्फ मोहरे नहीं

संसद के मॉनसून सत्र में मंगलवार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर जारी बहस के बीच कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पहलगाम के बैसरन घाटी में मारे गए लोग भारतीय नागरिक थे। इस बयान पर सत्ता पक्ष की ओर से जोरदार आपत्ति जताई गई। बीजेपी सांसदों ने उन्हें टोकते हुए कहा कि मृतक हिंदू थे, जबकि प्रियंका बार-बार यही दोहराती रहीं कि वे “भारतीय” थे।

लोकसभा में प्रियंका ने कहा कि बैसरन घाटी में 25 निर्दोष भारतीयों की जान चली गई, लेकिन उनके पास सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। जब उन्होंने पीड़ितों को ‘भारतीय’ कहकर संबोधित किया, तो सत्ता पक्ष की ओर से “हिंदू-हिंदू” के नारे लगे, जिसके जवाब में विपक्ष ने “भारतीय-भारतीय” के नारे लगाए। इस दौरान प्रियंका ने सदन में खड़े होकर मारे गए सभी 25 लोगों के नाम भी पढ़े।

“वे भी इंसान थे, राजनीतिक मोहरे नहीं”

प्रियंका गांधी ने कहा, “मैं इस सदन में उन सभी 25 नागरिकों के नाम पढ़ना चाहती हूं ताकि हर सदस्य यह समझे कि वे भी हमारी तरह इंसान थे। वे किसी राजनीति का हिस्सा नहीं थे। वे इस देश के बेटे थे, और शहीद हैं। उनके परिवारों को सच्चाई जानने का अधिकार है, और हमारी जवाबदेही बनती है कि उन्हें वह सच्चाई दी जाए।”

“सरकार जवाब दे, जिम्मेदारी किसकी है?”

कांग्रेस सांसद ने रक्षा मंत्री के एक दिन पहले के भाषण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्होंने एक घंटे में कई बातें कहीं, लेकिन सबसे अहम सवाल छूट गया — 22 अप्रैल 2025 को 26 लोगों को दिनदहाड़े किसने और क्यों मारा? उन्होंने सीधे सवाल करते हुए पूछा, “क्या देश के नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की नहीं है? क्या गृहमंत्री, रक्षामंत्री और एनएसए की कोई जवाबदेही नहीं बनती?”

“मैं दर्द को समझती हूं, इसलिए बोल रही हूं”

प्रियंका गांधी ने सदन में भावुक होते हुए कहा कि जब उनके पिता की हत्या हुई थी, तब उनकी मां केवल 44 साल की थीं और उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। उन्होंने कहा, “मेरी मां के आंसुओं की बात सदन में की गई, और मैं उसका उत्तर देना चाहती हूं। आज मैं उन 26 लोगों के लिए खड़ी हूं, क्योंकि मैंने भी वैसा ही दर्द सहा है। मैं उनका दर्द समझती हूं, और उसे महसूस करती हूं।”

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