भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी अगस्त में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए महंगाई लक्ष्य को कम कर सकता है। यह अनुमान केयरएज रेटिंग्स की एक ताजा रिपोर्ट में जताया गया है। यह बैठक 4 से 6 अगस्त 2025 के बीच आयोजित होगी, और इसके निर्णयों की घोषणा 6 अगस्त को की जाएगी।
रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति अगले वित्त वर्ष यानी 2025-26 में औसतन 3.1% के आसपास रह सकती है, जो फिलहाल आरबीआई के 3.7% के पूर्वानुमान से कम है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगले साल यानी 2026-27 में कम आधार प्रभाव के चलते मुद्रास्फीति बढ़कर औसतन 4.5% तक पहुंच सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2025 में मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति गिरकर 2.1% पर आ गई, जो जनवरी 2019 के बाद सबसे निचला स्तर है। यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी और पिछले वर्ष की तुलना में अनुकूल आधार प्रभाव के चलते हुई है।
खाद्य और पेय श्रेणी में साल-दर-साल आधार पर 0.2% की गिरावट देखी गई। इसमें सब्जियों (-19%), दालों (-12%), मसालों (-3%) और मांस (-1.6%) की कीमतों में खास गिरावट दर्ज की गई है।
आगे की स्थिति पर नजर डालें तो रिपोर्ट बताती है कि बेहतर कृषि उत्पादन और आधार प्रभाव के कारण खाद्य महंगाई पर नियंत्रण बना रह सकता है। हालांकि, जून में मुख्य मुद्रास्फीति हल्की बढ़त के साथ 4.4% तक पहुंची, लेकिन यह वृद्धि व्यापक नहीं थी और मुख्यतः सोने-चांदी जैसी कीमती धातुओं की महंगी कीमतों से प्रभावित थी। धातुओं को छोड़कर, मुख्य मुद्रास्फीति 3.5% के आसपास ही रही।
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि वैश्विक मांग में सुस्ती के बावजूद, भू-राजनीतिक घटनाएं और व्यापार नीति में संभावित बदलाव कमोडिटी की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए इन कारकों पर सतर्क नजर बनाए रखना जरूरी होगा।
कुल मिलाकर, रिपोर्ट में आगामी तिमाहियों में महंगाई की स्थिति संतुलित रहने का अनुमान है। हालांकि, वर्ष 2025-26 की अंतिम तिमाही में अनुकूल आधार प्रभाव कम होने के कारण CPI मुद्रास्फीति 4% के पार जा सकती है। ऐसे में आरबीआई इस बैठक में अपने मुद्रास्फीति लक्ष्य को संशोधित कर नीचे कर सकता है।