रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमले को अब पांच दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद रूसी सेना अब भी यूक्रेन की राजधानी कीव को घेरकर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के रास्ते बंद नहीं कर पाई है। चार दिशाओं से हमला कर रही रूसी सेना को अब तक यूक्रेन के खिलाफ उम्मीद के मुताबिक सफलता भी नहीं मिली है। इसी के चलते अब रूस की तरफ से यूक्रेन के राष्ट्रपति को ही निशाना बनाने की सुपारी दी गई है। बताया गया है कि रूस ने किराए पर काम करने वाले हत्यारों के एक समूह- वैगनर ग्रुप को जेलेंस्की की हत्या का जिम्मा सौंपा है।
क्या है वैगनर ग्रुप?
वैगनर ग्रुप पर रूस की सरकार के लिए गुपचुप तरीके से काम करने का आरोप लगता रहा है। इस समूह को रूस की निजी सैन्य कंपनी के तौर पर जाना जाता है। इस संगठन पर दुनियाभर के अलग-अलग देशों में रूसी सरकार के लिए छद्म युद्ध लड़ने के आरोप भी लगे हैं। खासकर लीबिया, सीरिया, मोजाम्बिक, माली, सूडान और मध्य अफ्रीका के देशों में यह समूह गृह युद्ध का भी हिस्सा रहा है। 2015 से 2018 के बीच वैगनर ग्रुप रूस की सेना और बशर अल-असद की टुकड़ियों के साथ भी लड़ा है।
कौन है इस संगठन का सरगना?
वैगनर ग्रुप का सरगना दिमित्री उत्किन है, जो कि पहले रूसी सेना में लेफ्टिनेंट रह चुका है और रूसी संघ की खुफिया एजेंसी- जीआरयू में भी काम कर चुका है। माना जाता है कि उसने ही 2014 में इस संगठन की खोज की थी और क्रेमलिन से संपर्क में रखा। हालांकि, रूस की तरफ से इस संगठन से संबंध होने की बात हमेशा से नकारी जाती रही है।
दिमित्री उत्किन रूसी सेना की तरफ से चेचेन युद्ध (1994-96 और 1999-2009) में शामिल रहा था। इसके अलावा उसने वैगनर समूह बनाने से पहले रूसी सेना में रहते हुए ही 2014 में यूक्रेन में सैन्य अभियान में हिस्सा लिया था। 2013 तक उत्किन रूस की खुफिया एजेंसी में लेफ्टिनेंट कर्नल पद तक पहुंचा। पिछले साल मार्च में ही उसकी कुछ तस्वीरें सामने आई थीं, जिसमें उसके सीने पर जर्मनी की नाजी पार्टी से जुड़ी एक सेना से जुड़े टैटू दिखाई दिए थे।
क्या है वैगनर ग्रुप की ताकत?
2017 की ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट की मानें तो वैगनर ग्रुप अब तक रूस के समर्थन से 6000 किराए के हत्यारों की फौज खड़ी कर चुका है। अमेरिकी थिंक टैंक के मुताबिक, कागजों पर वैगनर ग्रुप एक निजी संगठन है, लेकिन इसका प्रबंधन और अभियान रूसी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी के जरिए संचालित होने की बात सामने आ चुकी है। यह निजी सेना मिलिट्री के ही पूर्व अधिकारियों और जवानों से मिलकर बनती हैं और सुपारी लेकर लक्षित हत्याएं (टारगेटेड किलिंग) करती हैं। यानी कुल मिलाकर यह भाड़े के सैनिक होते हैं, जिनकी किसी सरकार के प्रति कोई खास जिम्मेदारी नहीं होती।
क्या-क्या हैं वैगनर ग्रुप पर आरोप?
वैगनर ग्रुप पर अब तक मानवाधिकार उल्लंघन और आम लोगों पर अत्याचार के कई आरोप लग चुके हैं। खासकर मध्य अफ्रीकी देशों में इस संगठन पर लोगों के साथ बर्बरता करने के आरोप लगे हैं। इसके अलावा रूस के हित वाले कई और देशों में इस संगठन पर हिंसा भड़काने, प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने और आम लोगों की जान लेने के भी आरोप हैं। यूक्रेन के डोनबास में भी 2014 में वैगनर ग्रुप पर आम लोगों के टॉर्चर और उनकी बर्बर हत्या के आरोप लगे थे। दिसंबर 2021 में यूरोपीय संघ ने इस संगठन के आठ लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया था।