शेयर बाजार में जोरदार गिरावट, सेंसेक्स-निफ्टी धड़ाम; इन कारणों से टूटी तेजी

शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुआ। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 694 अंक (0.85%) टूटकर 81,306.85 पर और निफ्टी 214 अंक (0.85%) गिरकर 24,870.10 पर बंद हुआ। इस दौरान बाजार में सभी सेक्टरों में बिकवाली हावी रही। बीएसई मिडकैप 0.23% और स्मॉलकैप 0.35% गिरावट के साथ बंद हुए।

22 अगस्त को शेयर बाजार में लगातार छह सत्रों से जारी तेजी पर ब्रेक लगा। तीन दिन की मजबूती भी खत्म हो गई। आइए जानें किन वजहों से बाजार में यह गिरावट आई—

1. मुनाफावसूली का दबाव
विशेषज्ञों के मुताबिक हाल की लगातार तेजी के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली की। बीते छह कारोबारी दिनों में सेंसेक्स करीब 1,800 अंक चढ़ा था, जो अप्रैल के बाद से सबसे लंबी तेजी रही। हालांकि बाजार का लंबी अवधि का रुख सकारात्मक बताया जा रहा है, लेकिन टैरिफ से जुड़ी अनिश्चितता और कमजोर आय ने निवेशकों को सतर्क किया।

2. कंपनियों के कमजोर नतीजे
पहली तिमाही (Q1) के खराब नतीजों ने निवेशकों का भरोसा हिलाया। बैंकिंग और आईटी सेक्टरों में गिरावट देखी गई। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यही वजह है कि फिलहाल निवेशक “सेल-ऑन-राइज” रणनीति अपनाए हुए हैं।

3. रूस-यूक्रेन विवाद
रूस-यूक्रेन युद्ध में तनाव बढ़ने की खबरों से कच्चे तेल की कीमतों में 1% से अधिक उछाल आया। तेल आयात पर निर्भर भारत के लिए यह स्थिति चिंता का विषय है। भू-राजनीतिक अस्थिरता ने भी बाजार की धारणा पर असर डाला।

4. अमेरिकी टैरिफ का दबाव
निवेशक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से चिंतित हैं। 27 अगस्त से 25% का सेकेंडरी टैरिफ लागू होना है, जिससे भारतीय सामान पर कुल टैरिफ 50% हो जाएगा। भारत सरकार के अनुसार, लगभग 50 अरब डॉलर के निर्यात पर इसका असर पड़ेगा। अब तक टैरिफ टालने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।

5. फेड चेयर पॉवेल का भाषण
शुक्रवार को जैक्सन होल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल के भाषण से पहले वैश्विक बाजारों में सतर्कता रही। भारतीय निवेशकों ने भी एहतियातन बिकवाली की। पॉवेल का कार्यकाल अगले साल मई में खत्म हो रहा है, ऐसे में विशेषज्ञों को उनके संबोधन से अमेरिकी मौद्रिक नीति की दिशा और महंगाई को लेकर संकेत मिलने की उम्मीद है।

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