सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को व्यवसायी कलानिधि मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज द्वारा स्पाइसजेट के खिलाफ दायर 1,300 करोड़ रुपये से अधिक के हर्जाने की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया गया था।
दरअसल, दोनों पक्षों के बीच यह विवाद 2015 से चला आ रहा है, जो प्रमोटर शेयरों के हस्तांतरण को लेकर शुरू हुआ था। 23 मई 2024 को दिल्ली हाईकोर्ट ने केएएल एयरवेज के दावे को खारिज करते हुए इसे तथ्यों को छिपाने और सुनियोजित रूप से प्रस्तुत किया गया मामला करार दिया था।
इससे पहले एक मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने भी कलानिधि मारन और केएएल एयरवेज की स्पाइसजेट के खिलाफ ₹1,300 करोड़ के हर्जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया था।
मई 2024 में, मारन और उनकी कंपनी ने स्पाइसजेट और इसके प्रमुख अजय सिंह से ₹1,323 करोड़ से अधिक की क्षतिपूर्ति की मांग की थी। यह राशि उस ₹353.50 करोड़ के अतिरिक्त थी, जिसे वे पहले से लंबित बकाया के रूप में दावा कर रहे थे।