नई दिल्ली। स्टैंड-अप कॉमेडियन समय रैना द्वारा विकलांग व्यक्तियों और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस तरह की टिप्पणियों को “परेशान करने वाला” बताया और रैना सहित अन्य कॉमेडियनों से जवाब तलब किया है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि अदालत इस मामले में व्यक्तिगत व्यवहार की गहराई से जांच करेगी। साथ ही, हास्य कलाकारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे याचिका का जवाब प्रस्तुत करें।
कोर्ट में पेशी अनिवार्य, तीन हफ्ते बाद अगली सुनवाई
पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान समय रैना की व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य होगी। अब यह सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय की गई है। यह याचिका ‘क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ द्वारा दायर की गई है, जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी जैसी दुर्लभ बीमारी से पीड़ित लोगों के अधिकारों की वकालत करता है।
‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा तय हो’
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने तर्क दिया कि कॉमेडियन द्वारा की गई टिप्पणियाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में नहीं आतीं, क्योंकि वे विकलांगों के प्रति घृणा फैलाने वाली भाषा के अंतर्गत आती हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मज़ाक के नाम पर इस प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणियाँ स्वीकार्य नहीं हैं और संबंधित कलाकारों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कोर्ट ने सभी पक्षों को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।