स्वामी दयानंद ने वेदों को पुनर्जीवित किया: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने अपना संबोधन भी दिया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने महर्षि दयानंद सरस्वती के समाज के लिए किए गए कार्यों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है।  21वीं सदी में आज जब विश्व अनेक विवादों में फंसा है, हिंसा और अस्थिरता में घिरा हुआ है, तब महर्षि दयानंद सरस्वती जी का दिखाया मार्ग करोड़ों लोगों में आशा का संचार करता है।

महर्षि दयानंद जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज में पुनर्जीवित किया
पीएम मोदी ने कहा कि जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था। इसके बाद महर्षि दयानंद जी ने आगे आकर वेदों के बोध को समाज में पुनर्जीवित किया। उन्होंने सामाजिक भेदभाव, ऊंच-नीच, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सशक्त अभियान चलाया।

महर्षि दयानंद ने महिलाओं के लिए शिक्षा अभियान शुरू किया
पीएम मोदी ने कहा कि महिलाओं को लेकर समाज में जो रूढ़ियां पनप गई थीं, महर्षि दयानंद जी उनके खिलाफ एक तार्किक और प्रभावी आवाज बनकर उभरे। उन्होंने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव का खंडन किया, महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया। आज देश की बेटियां भी राफेल लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। गरीबों और वंचितों का उत्थान सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है।

दयानंद सरस्वती ने अनेक संस्थाओं का सृजन किया
पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने अपने जीवन में केवल एक मार्ग ही नहीं बनाया, बल्कि अनेक संस्थाओं का भी सृजन किया। वे अपने जीवन काल में क्रांतिकारी विचारों को लेकर के चले,उनको जिया और लोगों को जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हर विचार को व्यवस्था के साथ जोड़ा। जो बीज स्वामी दयानंद जी ने रोपा था, वो आज विशाल वटवृक्ष के रूप में पूरी मानवता को छाया दे रहा है। आजादी के अमृतकाल में आज देश उन सुधारों का साक्षी बन रहा है, जो स्वामी दयानंद जी की प्राथमिकताओं में थे।

स्वामी दयानंद जी ने परिपक्वता की परिभाषा बतलाई थी
पीएम मोदी ने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने हमें जीवन जीने का एक और मंत्र दिया था। उन्होंने बहुत ही सरल शब्दों में बताया था कि आखिर परिपक्व कौन होता है, आप किसको परिपक्व कहेंगे? उनका कहना था कि जो व्यक्ति सबसे कम ग्रहण करता है और सबसे अधिक योगदान देता है, वही परिपक्व है।

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