‘एक चुटकी सिंदूर की कीमत…’- सीएम रेखा गुप्ता का जया बच्चन को फिल्मी जवाब

दिल्ली विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत ही तीखे टकराव और हंगामे के साथ हुई। सत्र के पहले दिन दिल्ली सरकार के मंत्री आशीष सूद ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ की सफलता को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए पर्यटकों के प्रति विपक्ष की संवेदनाएं संदेह के घेरे में हैं। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेना से साक्ष्य मांगे थे।

इस पर आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने पलटवार करते हुए कहा कि जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर नियंत्रण का अवसर था, तब केंद्र सरकार ने सेना को पीछे हटा लिया। उन्होंने इसे बेहद दुर्बल और निंदनीय कदम बताया। इसके बाद सदन में तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।

विधानसभा अध्यक्ष ने आप विधायक को बाहर कराया

विधानसभा अध्यक्ष बिजेंद्र गुप्ता ने संजीव झा से अपनी टिप्पणी वापस लेने को कहा। मना करने पर उन्होंने मार्शलों को आदेश देकर उन्हें सदन से बाहर करवाया और उनकी टिप्पणी कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया। वहीं, झुग्गी तोड़े जाने के मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने सदन के बाहर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर रेखा गुप्ता का पलटवार

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन की आलोचना का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के नाम पर सवाल उठाना अनुचित है और तंज कसते हुए कहा, “एक चुटकी सिंदूर की कीमत आप क्या जानें…”। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके बयानों से यह अंतर कर पाना मुश्किल हो जाता है कि वे भारत के नेता हैं या किसी अन्य देश के।

रेखा गुप्ता ने विभाजन, 1962 और 1965 के युद्ध, और 1971 में पकड़े गए 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को बिना शर्त छोड़े जाने जैसे ऐतिहासिक संदर्भों को उठाकर विपक्ष पर निशाना साधा।

प्राइवेट स्कूल फीस नियंत्रण विधेयक पेश

सत्र के दौरान एक अहम विधेयक भी सदन में रखा गया, जिसका उद्देश्य दिल्ली के निजी स्कूलों में मनमाने ढंग से बढ़ाई जा रही फीस पर नियंत्रण लगाना है। प्रस्तावित कानून के तहत कोई भी स्कूल तब तक फीस नहीं बढ़ा सकेगा जब तक उसका ऑडिट न हो जाए और फीस निर्धारण समिति की अनुमति न मिल जाए।

साथ ही, मुख्यमंत्री ने कैग (CAG) की रिपोर्ट भी सदन में प्रस्तुत की, लेकिन सार्वजनिक और मीडिया की सबसे अधिक रुचि निजी स्कूलों की फीस पर लाए गए विधेयक को लेकर रही।

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